व्यक्ति निराशा को छोड़कर आशावादी बना रहता है जैसे पतझड़ के बाद बसन्त
बसन्त का आना सभी जीव-जन्तु के लिए सुखकर : कार्यक्रम प्रमुख नाहर
वसन्त वस्तुतः ज्ञान का पर्व : कुलपति वैद्यनाथ
मुख्य अतिथि राजीव तथा विशिष्ट अतिथि नहर |
बसंतोत्सव का दीप प्रज्ज्वलन |
नालंदा : संस्कृत बसंतोत्सव कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा वैदिक एवं लौकिक मंगलाचरण से हुआ।
इस अनोखे संस्कृत बसंतोत्सव कार्यक्रमारम्भ के मंगलाचरण की प्रस्तुति युवक कुन्दन कुमार एवं सोनू कुमार पाण्डेय ने दिया। वहीं डाॅ0 धम्मा ज्योति तथा उनके सहयोगियों ने बुद्धवन्दना स्वस्तिवाचन प्रस्तुत किया।
कुलपति बैद्यनाथ लाभ |
नव नालंदा महाविहार के नागार्जुन सभागार में संस्कृत बसंतोत्सव कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए नव नालन्दा महाविहार के कुलपति प्रोफेसर वैद्यनाथ लाभ ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में कहा कि वसन्त वस्तुतः ज्ञान का पर्व है। इसे उत्सव के रूप में मनाने की पुरानी परम्परा है। हम भारत के लोग जिन परम्पराओं के कारण विश्वगुरु के पद को प्राप्त कर सके थे उसके पीछे यह ज्ञान ही प्रमुख कारण है। संस्कृत साहित्य में ज्ञान के विभिन्न पहलू दर्शन, विज्ञान तथा लोक-जीवन के सभी रंग वर्णित हुए हैं। युवा पीढ़ी यदि संस्कृत साहित्य का अध्ययन करे तो वे एक अच्छे वैज्ञानिक, प्रबन्धक, अर्थशास्त्री के साथ-साथ एक अच्छा नागरिक बन सकती है।
दूरदर्शन केन्द्र पटना के केन्द्राध्यक्ष राजीव कुमार सिन्हा |
बसन्तऋतु के कारण मानव में जीवन के प्रति राग और उत्साह आता है। जीवन जीने की उर्जा का संचार भी इसी वसन्त का परिणाम होता है। उक्त उद्गार नव नालन्दा महाविहार स्थित संस्कृत विभाग के तत्त्वावधान में आयोजित वसन्तोत्सव कार्यक्रम के मुख्य-अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए दूरदर्शन केन्द्र पटना के केन्द्राध्यक्ष राजीव कुमार सिन्हा ने प्रकट किया। सिन्हा ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के जीवन में दुःख और सुख दोनों आते हैं पर व्यक्ति निराशा को छोड़कर आशावादी बना रहता है जैसे पतझड़ के बाद बसन्त के आगमन से प्रकृति हम मानव को आशावादी बनने की प्रेरणा देती है।
कार्यक्रम प्रमुख डॉ. राजकुमार नाहर |
विशिष्ट अतिथि के रूप में दूरदर्शन केन्द्र के कार्यक्रम प्रमुख डॉ. राजकुमार नाहर ने कहा कि बसन्त का आना सभी जीव-जन्तु के लिए सुखकर होता है क्योंकि प्रकृति अपने मनोहर स्वरूप में होती है तथ इस समय नृत्य, गीत तथा संगीत के लिए भी उपयुक्ततम वातावरण होता है।
दिल्ली संस्कृत अकादमी के सचिव प्रोफेसर धर्मेन्द्र कुमार |
कार्यक्रम में मुख्यवक्ता के रूप में दिल्ली संस्कृत अकादमी के सचिव प्रोफेसर धर्मेन्द्र कुमार ने संसार के सबसे प्राचीन-ज्ञान वेद में सस्कृत भाषा के माध्यम से वसन्तऋतु की उत्पत्ति का मनोरम वर्णन किया। संस्कृत साहित्य में वसन्त वर्णन विषय पर अपने भाषण में प्रोफेसर धर्मेन्द्र ने बताया कि वैदिककाल से लेकर आज तक जितने भी संस्कृत साहित्य के लेखक हुए हैं उन सभी ने अपनी-अपनी रचनाओं में ऋतुओं का वर्णन अवश्य किया है विशेषकर प्रकृति वर्णन के क्रम में वसन्त का वर्णन अवश्य किया है। यह पवित्र दिन हम भारतीयों के लिए ज्ञान की देवी सरस्वती की कृपा पाने के लिए भी विशेष महत्त्व का होता है। सुर, लय और ज्ञान सभी का साक्षात विग्रहरूप सरस्वती की साधना से ही हमें जीवन में सभी सुख-सम्पत्ति मिलती है।
बसंतोत्सव कार्यक्रम का आनंद लेते लोग |
प्रोफेसर विजय कुमार कर्ण |
कार्यक्रम के संयोजक तथा संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर विजय कुमार कर्ण ने वसन्त को सभी ऋतुओं का राजा बनने के रहस्य का विश्लेषण करते हुए इसे वन, जल, वायु और मौसम की दृष्टि से इसकी अनिवार्यता पर प्रकाश डाला तथा इसे स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम अवधि बताया।
बसंत महोत्सव का रसासवादन करते मंत्रमुग्द छात्र- छात्रा |
इस अवसर पर प्रोफेसर विजय कुमार कर्ण के द्वारा सभी अतिथियों को शाॅल, श्रीफल एवं अभिनन्दन-पत्र भेंट कर उनके अपने-अपने क्षेत्र में किये गये उत्कृष्ट कार्यों को रेखांकित किया। इस वसन्तोत्सव कार्यक्रम में नृत्य, गीत व संगीत के साथ-साथ बसन्त पर महाविहार के सैकड़ों विद्यार्थियों ने भावचित्र (पोस्टर) बनाकर अपनी प्रतिभागिता की। इनमें से, प्रथम अधिसत्र, संस्कृत विभाग, नव नालन्दा महाविहार, नालन्दा प्रथम, तृतीय अधिसत्र, संस्कृत विभाग, नव नालन्दा महाविहार, नालन्दा द्वितीय तथा, ग्राम- मघड़ा, नालन्दा को क्रमशः 1100/- 800/- तथा 600/- की धनराशि तथा प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। इस अवसर पर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के जीवन-वृत्त पर भावचित्र (पोस्टर) बनाने वाले छात्रों में से प्रथम अधिसत्र, अंग्रेजी विभाग, नव नालन्दा महाविहार, नालन्दा प्रथम, बी.एड, महाबोधि काॅलेज, नालन्दा द्वितीय तथा प्रथम अधिसत्र, संस्कृत विभाग, नव नालन्दा महाविहार, नालन्दा तृतीय स्थान पर रहे। प्रतिभागियों को भी क्रमशः 1000/-, 700/- तथा 500/- की धनराशि व प्रमाण पत्र प्रदान कर उन्हें प्रोत्साहित किया गया।
कार्यक्रम के कवरेज में शामिल वर्ल्ड रिकार्डी जर्नलिस्ट अशोक कुमार अंज |
डाॅ0 नरेन्द्र दत्त तिवारी के संचालन में हुए इस कार्यक्रम में सुलोचना वर्मा तथा श्रेया श्री ने कत्थक नृत्य की प्रस्तुति दी तथा कौशल कुमार ने संस्कृतभाषा में वसन्त का गीत सुनाकर श्रोताओं का खूब मनोरंजन किया। आये हुए अतिथियों का स्वागत डा0 रूबी कुमारी ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डाॅ0 राजेश कुमार मिश्र ने किया। कार्यक्रम का समापन वन्दे मातरम् के गान से हुआ।
आगत अतिथियों के भव्य स्वागत, सुस्वागत |
कार्यक्रम में शिरकत |
संस्कृत कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले संस्कृत विभाग के विद्यार्थिगण तथा मंचस्थ अतिथिगण एवं महाविहार परिवार |
– प्रस्तुति- अंज न्यूज़ मीडिया, Presentation- Anj News Media