पटना फिल्मोत्सव

 कल से कालिदास रंगालय में 12वें तीन दिवसीय पटना फिल्मोत्सव
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12वाँ पटना फिल्मोत्सव दुनिया के मालिक…किसानों के नाम

तीन दिवसीय पटना फिल्मोत्सव : प्रतिरोध का सिनेमा


पटना : कल से कालिदास रंगालय में 12वें तीन दिवसीय पटना फिल्मोत्सव: प्रतिरोध का सिनेमा का पर्दा उठेगा। हिरावल-जन संस्कृति मंच द्वारा विगत ग्यारह वर्षों से लगातार पटना फिल्मोत्सव: प्रतिरोध का सिनेमा का आयोजन होता रहा है। कोरोना की महामारी की वजह से इस बार हर साल दिसंबर में आयोजित होने वाला यह फिल्मोत्सव इस बार 17, 18, 19 फरवरी को आयोजित होगा। यह जानकारी 12वें पटना फिल्मोत्सव की स्वागत समिति के अध्यक्ष व चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता गालिब खान, हिरावल-जन संस्कृति मंच के सचिव संतोष झा, जसम पटना के संयोजक राजेश कमल, फिल्मोत्सव की संयोजिका प्रीति प्रभा और फिल्मकार कुमुद रंजन ने आज छज्जूबाग में आयोजित एक प्रेस कान्फेन्स में दी।

पटना फिल्मोत्सव, AnjNewsMedia, Patna Film Festival
12वें पटना फिल्मोत्सव की तैयारी पूरी  


देश-दुनिया में चल रहे किसान आंदोलनों की पृष्ठभूमि में आयोजित हो रहे 12वें पटना फिल्मोत्सव की मुख्य थीम ‘किसान’ हैं। मशहूर शायर फैज की बहुचर्चित नज्म ‘इंतेसाब’ की पंक्ति ‘बादशाहे जहां…. दहकां के नाम’ को फिल्मोत्सव का स्लोगन बनाया गया है। इस बार वरिष्ठ हिन्दी कवि अरुण कमल फिल्मोत्सव का उद्घाटन वक्तव्य देंगे।  फिल्मकार विमल राय द्वारा किसान जीवन की त्रासदी पर बनाई गई क्लासिक फिल्म ‘दो बीघा जमीन’ फिल्मोत्सव की पहली फिल्म होगी। इस बार फिल्मोत्सव के दौरान कोरोना काल में दिवंगत हुए चर्चित अभिनेता और नाटककार गिरीश कर्नाड, अभिनेता ऋषि कपूर, इरफान, चर्चित कवि मंगलेश डबराल, विष्णुचंद्र शर्मा, मशहूर शायर राहत इंदौरी, चित्रकार विभास दास, इतिहासकार डी.एन. झा, रंगकर्मी उषा गांगुली, आलोचक खगेंद्र ठाकुर, आलोचक और उपन्यासकार शम्सुर्रहमान फारूकी, कहानीकार-फिल्मकार नरेन, हिंदुस्तानी संगीत के चर्चित नाम पंडित जसराज, उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान, उस्ताद इकबाल अहमद खान आदि को श्रद्धांजलि दी जाएगी।

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फिल्मोत्सव के दौरान चर्चित इतिहासकार प्रो. राधाकृष्ण चैधरी और महान कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु को उनके जन्मशती वर्ष में शिद्दत से याद किया जाएगा। रेणु जी की कहानी ‘मारे गए गुलफाम’ पर प्रसिद्ध गीतकार शैलेंद्र द्वारा बनाई गई फिल्म ‘तीसरी कसम’ फिल्मोत्सव की आखिरी फिल्म होगी। फिल्मोत्सव का समापन चर्चित नाटककार और रंगकर्मी राजेश कुमार द्वारा लिखित नाटक ‘सुखिया मर गया भूख से’ की हिरावल-जसम के कलाकारों द्वारा प्रस्तुति के साथ होगा।

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फिल्मोत्सव के पहले दिन 17 फरवरी को ‘दो बीघा जमीन’ और ‘कुम्भ: दी अदर स्टोरी’ फिल्में दिखाई जाएंगी। ‘दो बीघा जमीन’ किसानों के मजदूर बनने के त्रासद यथार्थ के चित्रण और महान अभिनेता बलराज साहनी के प्रभावशाली अभिनय के लिए याद की जाती है। सलिल चैधरी द्वारा संगीतबद्ध इस फिल्म के गीत भी अत्यंत लोकप्रिय रहे हैं। ‘कुम्भ: दी अदर स्टोरी’ कुंभ के दौरान श्रद्धा और भक्ति से अलग जीवन के कई जरूरी मुद्दों को सामने लाती है, जिसकी आमतौर पर चर्चा नहीं होती। इसका निर्देशन पवन श्रीवास्तव ने किया है।

दूसरे दिन भीमा कोरेगांव के ऐतिहासिक संघर्ष पर आधारित सोमनाथ वाघमारे द्वारा निर्देशित फिल्म ‘द बैटल आॅफ भीमा कोरेगांव’, यशोवर्द्धन मिश्रा निदेर्शित फिल्म ‘लूटिंग फार्मर्स ऐट दी मंडी’ दिखाई दी जाएंगी। दोनों मराठी भाषा की फिल्में हैं। इस दिन बच्चों की फिल्मों और स्थानीय फिल्मकारों द्वारा बनाई गई फिल्मों का एक विशेष सत्र होगा। श्रीराम डाल्टन की फिल्म ‘दी स्प्रिंग थंडर’ भी दूसरे दिन का आकर्षण होगी। इसके अतिरिक्त एकतारा कलेक्टिव की ‘होटल राहगीर’ और अमुधन आरपी निर्देशित तमिल फिल्म ‘माई कास्ट’ भी दिखाई जाएगी।

फिल्मोत्सव के अंतिम दिन ‘तीसरी कसम’ का प्रदर्शन होगा और ‘सुखिया मर गया भूख से’ नाटक की प्रस्तुति होगी।

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फिल्मोत्सव के अंतिम दिन ‘तीसरी कसम’का प्रदर्शन



आयोजकों ने बताया कि कोरोना महामारी को देखते हुए फिल्मोत्सव में निश्चित दूरी समेत सुरक्षा के तमाम नियमों का पालन किया जाएगा। हर बार की तरह इस बार भी फिल्मोत्सव निःशुल्क होगा यानी दर्शक बिना किसी शुल्क के फिल्में देख सकते हैं। फिल्मोत्सव के दौरान बुक स्टाॅल भी लगाया जाएगा।

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