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स्वरोजगार के लिये पशुपालन विभाग की मुर्गीपालन एवं बकरीपालन की योजनाओं का उठायें लाभ
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डाॅ॰ प्रेम कुमार, माननीय मंत्री, कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन विभाग, बिहार ने कहा है कि कोरोना वैष्विक महामारी के कारण बहुत से लोगों के लिये रोजगार का संकट खड़ा कर दिया है। विषेषकर राज्य के बाहर काम करने गये प्रवासी मजदूरों एवं कामगार के लिये रोजी रोटी के समस्या का समाधान एक बहुत बड़ी चुनौती है। ऐसे मेंपशुपालन विभाग द्वारा संचालित मुर्गीपालन एवं बकरीपालन की योजनाओं से जुड़कर स्वरोजगार को प्रारम्भ किया जा सकता है। 
माननीय मंत्री ने कहा है कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार योजना अन्तर्गत राज्य के बाहर से लौटे प्रवासियों को बकरीपालन, मुर्गीपालन, गाय पालन, मषरुम उत्पादन आदि का प्रषिक्षण कृषि विज्ञान केन्द्र, मानपुर में कराया जा रहा है। प्रषिक्षण प्राप्त करने के बाद इनके समूह गठित कर राज्य एवं केन्द्र सरकार की योजनाओं से आच्छादित कर स्वरोजगार के अवसर दिये जायेंगें। 35 प्रवासियों को 01 जुलाई से 03 जुलाई तक बकरी पालन का प्रषिक्षण दिया गया है। 
माननीय मंत्री ने कहा कि पशुपालन विभाग से समेकित मुर्गी विकास की योजना अन्तर्गत चूजा वितरण कार्यक्रम चलाया गया है जिसमें 28 दिन का चूजा बी॰पी॰एल॰ परिवार को 10 रुपये प्रति चूजा की दर से जबकि ए॰पी॰एल॰ परिवार को 20 रुपये प्रति चूजा की दर से वितरित किया जाता है। लेयर मुर्गी फार्म, जिनमें अण्डा उत्पादन किया जाता है की नई ईकाई स्थापित करने के लिये सरकार अनुसूचित जाति एवं जनजाति के मुर्गीपालकों को 40 प्रतिषत अनुदान दे रही है अन्य के लिये 30 प्रतिषत अनुदान दिया जाता है। 10000 मुर्गी की क्षमता वाले ईकाई की लागत 85 लाख रुपये है जबकि 5000 मुर्गी की क्षमता वाले ईकाई की लागत 48.50 लाख रुपये है। योजना का लाभ लेने के लिये पशुपालन विभाग की वेबसाईट wwww.ahd.bih.nic.in  पर जाकर आॅनलाईन आवेदन किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त समेकित बकरी एवं भेड़ विकास योजना अन्तर्गत 100 बकरी + 05 बकरा की ईकाई लागत 10 लाख रुपये, 40 बकरी +02 बकरा की ईकाई लागत 04 लाख रुपये, 20 बकरी + 01 बकरा की ईकाई 02 लाख रुपये एवं 10 बकरी + 01 बकरा की ईकाई लागत 75 हजार रुपये की  योजना चलाई जा रही है जिसमें अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लाभुकों को 60 प्रतिषत अनुदान दिया जाना है कि जबकि अन्य को 50 प्रतिषत अनुदान दिया जा रहा है।

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