महामना बुद्ध के तपस्या की सफलता प्रेरणादायी : ज्ञान यात्रा

*प्रागबोधि तपस्वी स्थल डुंगेश्वरी पर्वत से बुद्धि स्थल महाबोधि मंदिर तक भव्य ज्ञान यात्रा*
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*बुद्ध के तपस्या की सफलता प्रेरणाप्रद*

भव्य ज्ञान यात्रा

गया : बुद्ध के प्रागबोधि तपस्वी स्थल डुंगेश्वरी तथा ज्ञान स्थली महाबोधि मंदिर तक निकाली गई भव्य ज्ञान यात्रा। जिसमें बड़ी संखा में लोग शिरकत किये। डुंगेश्वरी पर्वत की गुफा में महात्मा बुद्ध कठोर तपस्या किये थे। बुद्ध की तपस्या साकार हुआ और वे ज्ञान हासिल कर धन्य हुए थे। बुद्ध को सफलता मिली कठोर त्याग- तपस्या के सहारे। जो अनुकरणीय है। लोग उनके मार्ग का अनुशरण कर चल रहे हैं। ख्याति लब्ध भूमि बुद्ध के तपस्वी स्थल है डुंगेश्वरी पर्वत श्रृंखला। बुद्धि स्थल महाबोधि मंदिर तक यह ज्ञान यात्रा आयोजित हुआ।

तक़रीबन आठ किलोमीटर की ज्ञान यात्रा लोगों ने तय कर बुद्ध के ज्ञानभूमि महाबोधि मंदिर पहुँचे। प्रागबोधि (डुंगेश्वरी) से महाबोधि मंदिर तक का ज्ञान यात्रा अपने- आप में अनूठा यादगार है। जो शांति, समृद्धि, सहनशीलता, कर्मठता, लगनशीलता और उन्नति की हमें सिख प्रदान करती है। ज़िला प्रशासन गया की ओर से यह यात्रा निकाली गई। यात्रा का नेतृत्व डीएम  अभिषेक सिंह ने की, जिसमें देशी- विदेशी श्रद्धालुजन भाग लिये। जो सौभाग्य का अनोखा क्षण है। ज्ञान पद यात्रा के लिए डुंगेश्वरी पर्वत ऐतिहासिक है। पद यात्रा में प्रशासनिक पदाधिकारियों के अलावे बड़ी संख्या में देशी- विदेशी श्रद्धालु भाग लेकर ज्ञान यात्रा को जीवंतता प्रदान कर गौरवान्वित हुए। ज्ञात हो बुद्ध ने ज्ञान की प्राप्ति के लिए डुंगेश्वरी पर्वत की प्रागबोधि गुफा में छह साल तक तपस्या किये थे। इसी गुफा में कठोर तपस्यारत महापुरूष बुद्ध का शरीर मानव कंकाल सा हुआ था। तपस्वी बुद्ध ने घोर तपस्या उपरांत बोधगया के शिवालय स्थित पीपल वृक्ष की छांव में बुद्धि की बोध किये थे। जो ज्ञान की प्रतीक।
ज्ञान से भर गए, मस्तक में बुद्धि- विवेक का संचार हुआ और वे ज्ञानी बने । वह त्याग- तपस्या प्रेरणादायक है। पर्वत श्रृंखला पर अवस्थित पावन तपस्वी स्थल धार्मिकता से ओतप्रोत है। महान तपस्या कर्मभूमि और बुद्धिभूमि पूजनीय है हीं, वंदनीय भी। ऐसे, तपस्वी बुद्ध ज्ञानी बने और फिर प्रभु की संज्ञा पाये। इस तरह तपस्वी बुद्ध, प्रभु बुद्ध बन गए। वे देश- दुनिया को शांति का संदेश दिये। उसने तपस्या और दृढ़- संकल्प के बल पर असंभव को संभव कर दिखाया।
पक्का इरादा तथा अदम्य इच्छाशक्ति से सफलता हासिल कर महात्मा बुद्ध बने। ऐसे, महापुरूष का जीवन सफल हुआ और बुद्ध की बाँछें खिल उठा, खिलखिला उठा। इस तरह बुद्ध, शुद्ध हो गए। जिसकी शुद्धता संसार में निखर रहा, और अनवरत निखरता हीं रहेगा। एक बुद्ध कितने को बुद्धि का बोध करा गए। उनकी राह पर संसार चलने को विवश है।

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