पर्वत पुरूष
कहानी : अशोक कुमार अंज
एक हिम्मती मजदूर था, गठिले शरीर वाला। जिसने पत्नी की खातिर पर्वत से पंगा लिया। वह आत्मबली था हीं, पक्के इरादे का। जो ठान लेता, वो कर गुजरता। उसने पत्नी के प्रेम में पहाड़ काट कर रास्ता बनाया ही, वह पैदल दिल्ली भी चला गया। अगर जेहन में साहस और इरादा हो तो असंभव कार्य को भी संभव किया जा सकता। ऐसा ही उदाहरण पेश किया अकिंचन मजदूर दशरथ। उनकी पत्नी माथे पर जल भरा मटका और पोटली में भोजन ले कर रोज पहाड़ी संर्कीण दर्रा पार कर उनके लिए भोजन- पेयजल लेकर जाती थी। जहां दशरथ खेत में खेतीबारी किया करता था। एक दिन अचानक उसे पर्वत से ठोकर लगी। पांव फिसला और लुढ़क कर गिर पड़ी। वह चोटिल हुई हीं, लहू-लूहान भी। जिससे जल भरा मटका फूट गया। पेयजल बह गया और भोजन भी बिखर कर बर्वाद हो गया।
वर्ल्ड रिकार्डी हैमरमैन शिवू मिस्त्री के छेनी- हथौड़े से निर्मित ऐतिहासिक यादगार प्रेमपथ |
फगुनी चिल्लाई- दशरथ बचाओ। पहाड़ ने मुझे घायल कर दिया। बचाओ दशरथ, बचाओ। मैं गिर पड़ी।
घायल फगुनी दर्द से कर्राहते- भटकते पहाड़ी दर्रा से धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी। फिर फगुनी पहाड़ी दर्रा से आवाज लगाती- दशरथ बचाओ।
दशरथ, फगुनी की चिख-पुकार की आवाज सुनी- अरे ! ये तो फगुनी की आवाज है। लगता है वो संकट में पड़ी है। चलूं, देखूं। आखिर क्या आफत आ पड़ी है।
फिर दशरथ आवाज लगाता- आ रहा हूं ! आ रहा हूं, घबराओ मत, फगुनी।
वह दौड़ा- भागा पहाड़ की ओर। दशरथ हाॅंफते आवाज लगाते दौड़ता- आ रहा हूं, फगुनी। आ रहा हूं।
दशरथ दूर से ही देखा कि फगुनी पहाड़ी दर्रा के पास बेजान गिरी पड़ी है। दशरथ और तेजी से भागता और फगुनी को सम्भालते हुए पूछता- ये लहू-लूहान हालात किसने की ? यह देख दशरथ कुछ पल के लिए आवाक रह गया। फगुनी दर्द से कर्राहती रही।
दशरथ बोलता- बोलो फगुनी, बोलो। ये हालात किस ने की ?
दर्द से कर्राहती फगुनी पहाड़ की ओर इशारा करते कहा- पहाड़ की ठोकर से ये हालात हुई है।
दशरथ बोला- ये पहाड़ ! तुम्हारा हालात बिगाड़ा है। इसे छोड़ूंगा नहीं। झट से पत्थर उठाता और गुस्से की आक्रोश में पत्थर से पहाड़ को मारता। वह अंधाधून पत्थर से प्रहार किया परंतु गुस्सा ठंडा नहीं हुआ।
फगुनी कहती- भोजन, पानी सब गिर कर बर्बाद हो गया। क्या खाओ-पिओगे ?
दशरथ गुस्से में कहता- फगुनी, पर्वत को छोड़ूंगा नहीं। इसके सिने को चीर कर रास्ता बनाउंगा, समझी। चलो, उसे गोद में उठा, घर ले जाता।
दशरथ घायल पत्नी को घर ले जाकर उसकी सेवा करता। माटी के चूल्हे पर पानी गर्म करता और उस गर्म पानी से जख्म को सेंकता। फगुनी दर्द से कर्राहती।
गर्म पानी से सेंकते हुए दशरथ कहता- पहाड़ ने तुझे रूलाया है। उसे छोड़ूंगा नहीं, फगुनी। तेरी एक-एक आॅंसू का बदला लूंगा उससे, समझी। वह तुझे जख्म दिया हीं, मुझे भूखा-प्यासा रखा। तू, जरा आराम करो। हम पहाड़ तोड़ कर रास्ता बनाने का सोंचता हूं। तुम्हारे प्यार के खातिर पहाड़ खोद कर प्रेमपथ बनाउंगा। ताकी तुझे फिर कोई तकलीफ ना हो, पहाड़ पार जाने में।
फगुनी बोलती- इतनी रात हो गई, तू सोया नहीं।
दशरथ कहता- पहाड़ तोड़ने का सोंच रहा हूं। इसलिए नींद नहीं आ रही है।
फगुनी कहती- सो जा…. पहाड़ तोड़ने का मगजमारी मत करो। जो हो गया सो हो गया, जाने दो।
दशरथ कहता- तुम्हारा दर्द, हमारे दिल में समा गया है। दर्द का अहसास हमें भी हो रहा। इसी लिए मेरी नींद उड़ गई।
फगुनी कहती- शांति से सो जाओ, फालतू मत सोंचो। बहुत रात हो गई है।
दशरथ कहता- कैसे सो जाउं, नींद आती नहीं। कातिल पहाड़ पर ही ध्यान है। उसे तोड़ने का उपाय ढ़ूंढ़ रहा हूं। जब तक रास्ता नहीं बनाउंगा, चैन से नहीं सोउंगा, समझी। पर्वत गिराता रहेगा, और तू घायल होती रहेगी। उसका खेल खत्म कर के रहूंगा। उसे तोड़ कर ही छोड़ूंगा। तेरे लिए रास्ता निकालूंगा, तू देखते रहो। इस गुस्से की आग में भस्म हो के रहेगा पर्वत, समझी फगुनी।
फगुनी कहती- अरे ! सो जा… ये सब क्या बड़बड़ा रहा है। हमें दर्द चूभ रहा और तू बड़बड़ाये जा रहा। मन मार के चुपचाप सो जा।
दशरथ कहता- बाजुओं में प्यार की ताकत समा गई है। पर्वत को रबूद कर के रहूंगा, फगुनी। पर्वत के सिने को तरास कर राह बनाउंगा। वही मेरे लिए ताजमहल सा होगा। तेरे लिए प्रेमपथ की ताज अपनी बाजुओं से बनाउंगा। तू देखते रहना, फगुनी…
फगुनी कहती- अरे ! सो जाओ। फालतू बात मत बको।
माउंटेनमैन दशरथ मांझी |
उधर, कड़ी भूख से तड़पता दशरथ, उस दिन भूखा-प्यासा रह गया। वही घटना दशरथ को पहाड़ तोड़ने के लिए मजबूर की। इसी घटना से उसे पहाड़ तोड़ने की प्रेरणा भी मिली। यह दास्तां वर्ष 1960 की है। उस वक़्त पहाड़ में केवल संर्कीण दर्रा था। बड़ी मुश्किल से लोग पहाड़ी दर्रा से गुजरते थे। पर अब वहां चैड़ी सड़क है। मजदूर दशरथ ने वर्ष 1960 से 1982 तक लगातार चट्टानें काटता, राह बनाता रहा। 22वें वर्ष यानि 1982 में उन्हें पूर्ण सफलता मिली। उनकी हाड़तोड़ मेहनत का फल है- ‘प्रेम-पथ’। जीवट कर्मयोगी मजदूर दशरथ ने पत्नी की याद में पर्वत के बीचोबीच से राह निकाली। जो प्रेम का प्रतीक ताजमहल से कम नहीं। वह प्रेमपथ अनोखी है ही, अमर प्रेम की निशानी भी। पत्नी की याद में अकिंचन मजदूर ने अपनी बाजुओं के दम पर राह बनाई। दशरथ पत्नी से बेहद प्यार करता था। वह बहुत प्यारी थी। पर्वत की ठोकर से पत्नी की लहू-लूहान दशा देख दशरथ गुस्से से आग-बबूला हो उठा था। उसने गुस्से में पहाड़ को पत्थर से मारते हुए तीखा वार किया। फिर भी उसका कलेजा ठंडा नहीं हुआ। दशरथ ने फगुनी के कातिल पर्वत को तोड़ कर राह बनाने की ठान ली।
दशरथ बोले- फगुनी मर गई तो क्या समझे, खेल खत्म। अरे ! जब तक मेरी जान में सांस है, छोड़ेगें नहीं। पत्नी दुनिया में नहीं रही, पर हम हैं। लो, फिर आ गए। तुम से भीड़ने, तेरा अकड़ तोड़ने। तुझे चकनाचूर कर के रहूंगा। भ्रम है कि हम हार गए।
पर्वत ने भयभीत हालात में अहसास किया- लो, वो फौलाद फिर आ गया। वही तेवर, ताकत लिए।
दशरथ बोले- तू मेरी पत्नी का गुनहगार है। यहीं प्रेम-पथ बनाउंगा। हम तोड़ेगें हीं, छोड़ेगें नहीं। जिगर में प्यार की ताकत और बाजुओं में दम है, देखो…
हथौड़ा से पहाड़ पर प्रहार करता। ये मेरी ताकत है, तोड़ कर ही छोड़ूगा… एक हीं प्रहार में चरचरा उठा। अभी पूरा खेल बाकी है। तय कर लिया हूं- तू रहेगा, या मैं।
सुगम हो गया गेहलौर से वजीरगंज की आवाजाही |
एक कोने में रखा छेन्नी- हथौड़ा दशरथ उठाता और चल पड़ता पहाड़ की तरफ। एक कांधे पर छेन्नी, दूसरे कांधे पर हथौड़ा लिए चला जाता, कर्मवीर। हथौड़े का प्रहार करता चट्टानों को तोड़ने में भीड़ा। दर्रे का कठोर चट्टान हथौड़े की बलशाली मार से धरासाई होने लगा। वर्ष 1982 में रास्ता निकल आया। स्वप्न साकार होते ही दशरथ बेहद खुश हुआ और आमजनों में खुशी की लहर लहरा गई। बात इलाके में फैल गई कि दशरथ बाबा ने कमाल कर दिया। उसने पहाड़ काट कर रास्ता बना दिया। गेहलौर से वजीरगंज की आवाजाही एकदम सुगम हो गया। यह सुन लोग भौंचक रह गए।
आमजन अचंभे में कहते- पगला ! दशरथवा, पहाड़ तोड़ दिया।
ग्रामीणजन बोलते- हां, पहाड़ को चीर कर रास्ता बना दिया।
आमजन कहते- वाह ! पगलवा तो कमाल कर दिया।
ग्रामीणजन बोलते- हां, उसने असंभव को संभव कर दिया। दशरथवा तो इलाके के लिए बड़ा काम कर गया। जिसे सब पगलवा कहते, उसी ने कमाल कर दिखाया।
इलाके का लोग दशरथ का जय- जयकार करते, अघाते नहीं ! तो किसी को विश्वास हीं नहीं होता।
ग्रामीणजन प्रेमपथ से गुजरते कहते- यही रास्ता दशरथवा बनाया है, पहाड़ काट कर। उसके अटूट प्यार का ये ‘प्रेमपथ’ है।
आमजन बोलते- जय हो ! गेहलौर- वजीरगंज की दूरी मिटा दी, दशरथवा।
ग्रामीणजन कहते- दशरथ, इस पथ से बैलगाड़ी पार की ही, प्रखंड विकास पदाधिकारी की जीप भी। उनका कार्य लोगों को अचंभित कर दिया। लोग उनकी दुहाई करते, बधाई देते।
आमजन कहते- हां, भाई ! दशरथ तो बेमिशाल काम किया। जो बेजोड़ है।
शिवू मिस्त्री, वर्ल्ड रिकार्डी हैमरमैन |
इस कार्य के प्रारंभिक दौरान में उनकी भेंट शिवू मिस्त्री से हुई। मजदूर दशरथ ने पहाड़ तोड़ने के लिए उनसे छेन्नी- हथौड़ा की इच्छा जाहिर की और हथौड़ा पुरूष शिवू ने दशरथ को निःशुल्क छेन्नी- हथौड़ा देने की हामी भर दी। वे तब तक छेन्नी- हथौड़ा देते रहे, जब तक पहाड़ टूटा नहीं। निःशुल्क छेन्नी- हथौड़ा प्रदान कर हथौड़ा पुरूष शिवू ने दशरथ के संकल्पित कार्य में जान फूंक दी। वे छेन्नी- हथौड़ा देते गए और दशरथ पहाड़ तोड़ता गया। मजदूर दशरथ की कामयाबी शानदार, जबर्दस्त, जिंदाबाद हो गई।
अशोक कुमार अंज वर्ल्ड रिकार्डी जर्नलिस्ट |
पर्वत पुरूष बाबा दशरथ ने पत्रकार को ‘पत्रकार बाबू’ की संज्ञा दी। क्योंकि वे उनके आत्मीय रहे ही, प्रिय भी। दशरथ बाबा उनके लेखकीय कार्य से प्रसन्न थे। दशरथ और अंज के बीच साहसिक बातचीत होती थी।
एक दिन पत्रकार ने कहा- बाबा आपकी कहानी लिख-लिख कर छापने के लिए प्रेषित कर रहे, पर छप नहीं रहा।
तब दशरथ ने कहा- दूसरे के भरोसे क्यों रहते। अपना अख़बार क्यों नहीं निकाल देते। औरों के भरोसे मत बैठिए, पत्रकार बाबू।
पत्रकार ने कहा- बाबा ! अख़बार निकालना आसान नहीं, बहुत बड़ा काम है।
दशरथ ने हौसला देते हुए कहा- पत्रकार बाबू ! पहाड़ तोड़ने से भी मुश्किल काम है क्या। मैंने अकेले पहाड़ तोड़ा। हिम्मत रखिए। हार मत मानिए, पत्रकार बाबू।
आकाशवाणी, पटना से प्रसारित कहानी ! आप चाहें तो यहां सुन सकते हैं, नीचे दिए हुए ब्लू लिंक पर क्लिक कर के :- mountain man ke jivan par aadharit kahani
Parvat Purush- Kahani By WriterAnj On AIR, Patna
विगत 03 फरवरी 2017 को साहित्यकी शतदल में रात्रि 09 : 30 बजे आकाशवाणी, पटना से प्रसारित कहानी
कहानीकार,
अशोक कुमार अंज
वर्ल्ड रिकार्डी जर्नलिस्ट
आकाशवाणी- दूरदर्शन से अनुमोदित पत्रकार- साहित्यकार
वजीरगंज, गया- 805131, बिहार
mountain man ke jivan par aadharit kahani
प्रस्तुति : अंज न्यूज़ मीडिया
– Presentation : Anj News Media