गया : जिले के वजीरगंज प्रखंड स्थित नागरी सभागार में रचनाकार सम्मेलन हुआ। जिसमें रचनाकारों ने अपनी- अपनी रचना प्रस्तुत किये। रचनाकार सुमन कुमार विकल की प्रस्तुति चलो थोड़ा रक्त दे दो, माँ पिता का ऋण बहुत है, गुरूजनों का आशीर्वचन बहुत है। वहीं यशवंत कुमार ने रचना के माध्यम से अपनी प्रस्तुति दी, जिधर देखो, उधर है डिस्को ! डिस्को किया है बताऊँ किसको, डिस्को नाम बड़ा अजनबी, देखो डिस्को बना जिलेबी। इसी कड़ी में लेखक- फिल्मी पत्रकारबाबू अशोक कुमार अंज ने बिहार सरकार की “बिहार” पत्रिका में प्रकाशित ‘बुलंद हौसला’ साहसिक रचना की प्रस्तुति में कहा कि बना है पैर, काँटों से ना डरने के लिए।
हर कदम पे है साँस, जीने मरने के लिए॥
क्षणभंगुर फूल, बहुत मजा नहीं देता
दर्द जरूर है, हर एक घाव भरने के लिए॥
भरपूर कोशिश ही, साहसों की जिंदगी है
घूंट-घूंट कर मरना होगा, तैरने के लिए॥
बुलंद हौसला का ताज है, दृढ़- प्रतिज्ञा
सौ काम को हाथ ही है, करने के लिए॥
झूक जायेगा हिमनग, राहगीर की चाल पे
इतिहास विवश है, संग चलने के लिए॥
बना है पैर, काँटों से ना डरने के लिए।
हर कदम पे है साँस, जीने मरने के लिए॥
वहीं नवोदित रचनाकार खरांशु छवि ने अपनी प्रारंभिक रचना, ‘समय की चेतना’ के माध्यम से प्रस्तुत की। छवि की रचना प्रस्तुति, जीवन है यह बहुत मूल्यवान
करो न कभी इस पर अभिमान
कर गुजरो कुछ ऐसा जिससे
अमर हो जाये तेरा नाम,
समय है यह बहुत मूल्यवान
करो न कभी इसका अपमान
चला सदैव जो साथ इसके
जा पहुंचा शिखर पे अपने !
समय है यह बहुत बलवान
करो न कभी इसका अपमान
जब ये अपना जोर दिखता
सभी को घुटनों पर ले आता। जो काफ़ी सराहनीय रहा। नवोदित रचनाकार खरांशु छवि को साहित्य की ऊँची मुक़ाम हासिल करने की आशीर्वाद दिये। हथौड़ा पुरूष शिवू मिस्त्री (हैमर मैन) की अध्यक्षता में रचनाकार गोष्ठी हुई।
वजीरगंज में रचनाकार गोष्ठी
*वजीरगंज में रचनाकार गोष्ठी*
Advertisement