शिक्षा पर आधारित आलेख

दिव्यांग की पाठशाला

दिव्यांग की पाठशाला
दिव्यांग दो सगे भाई की पाठशाला
शिक्षा जीवन का अनमोल गहना है, जिससे ज़िंदगी सँवर जाती है। दो दिव्यांग भाई ने गरीब बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने में जुटे हुए हैं। कहा जाता है कि यदि बुलंद हौसला, दृढ़- इच्छाशक्ति हो तो कोई भी कार्य असंभव नहीं। वैसे लगन और मजबूत इच्छाशक्ति के धनी व्यक्ति हैं दिव्यांग सहोदर भाई गोपाल और पंकज । ये वाकया है दो सगे दिव्यांग भाई का। जो गरीब बच्चों को मुफ़्त में पढ़ाने का बिड़ा उठाया है। वे दोनों संकट से जूझते मुश्किल से पढ़ाई पूरी किये। विषम परिस्थितियों से गुज़रते हुए शिक्षा की राह पकड़ी।
दिव्यांग की पाठशाला
पाँव से दिव्यांग गोपाल और पंकज
ऐसे शख़्सियत हैं पाँव से दिव्यांग गोपाल और पंकज। वे अपनी मजबूत इच्छाशक्ति के बदौलत इतिहास रच रहे हैं। जाहिर हो प्रतिभावान दिव्यांग ने शिक्षा देने की अच्छी पहल की है। विदित हो शारीरिक रूप से दिव्यांग हैं दोनों। वैसे साहसी संकल्पी पुरूष हैं दिव्यांग सहोदर भाई। वे आत्मबल की शक्ति के दम पर शिक्षा जगत के क्षेत्र में शिक्षा की ज्योति जलाने में भीड़े हुइ हैं। उसने दिव्यांग होते हुए भी साहस का परिचय दिया है। जो बड़ी कमाल का है। इसी साहस के वजह से वे आदर्श की श्रेणी में स्थान पाये हैं। वे अनवरत कई वर्षों से ग्रामीण इलाके के छात्र- छात्राओं में शिक्षा की अलख जगा रहे। गरीब विद्यार्थियों में शिक्षा के जरीय नई उर्जा संचारित कर रहे हैं। इस तरह अपने दम पर बच्चों में साक्षरता की बुलंदियों को भर रहे हैं। दिव्यांग दो भाई ने अपनी जज्बों से विद्यार्थियों को शिक्षा की ताकत दे रहे हैं। बच्चों के सपने को निखारने में लगे हैं ताकी उन बच्चों के सपने टूटे नहीं । वे गरीबी, लाचारी और भुखमरी झेलते बच्चों को कामयाब बनाने में लगे हुए हैं। गरीब- गुरूवों के बच्चों की शिक्षा बड़ी मुश्किल से होती है। शिक्षा की ज्योति से उन गरीब, शोषित, लाचार, वंचित बच्चों की बांछें खिलने लगी है। शिक्षा जैसी अनमोल रत्न से बच्चों को गुणवान बना रहे हैं। जो उनके जीवन को तरक़्क़ी की राह देगी। जिससे उनके सपने सजेंगे। ज्ञात हो दिव्यांग गोपाल रविदास और पंकज कुमार दोनों सगे भाई हैं। गोपाल बड़े और पंकज छोटा भाई है। उक्त दोनों भाई ख़ुद लाचार हैं परंतु शिक्षा को मजबूत करने में निरंतर जुटे हुए हैं। ताकी शिक्षा पंगू ना हो। उन्होंने कहा कि हम दोनों दिव्यांग और लाचार जरूर हैं परंतु शिक्षा को लाचार पंगू नहीं होने दूँगा। गरीब, शोषित- वंचितों के बीच शिक्षा की दीप जला कर शिक्षा को मजबूत करना उद्देश्य है। ताकी कोई अशिक्षित ना रह पाये। जब तक ज़िंदगी है शिक्षा की लौ बच्चों में जलाते रहेंगे। यही संकल्प है। ठान लिये हैं ग़रीबों के बच्चों को साक्षर बनाने के लिए। बस, इसी धुन में लगा हूँ। उन्होंने कहा कि सरकार और जनप्रतिनिधियों से सहयोग की अपेक्षा है ताकी इस मुहिम को और भी मजबूत कर सकूँ। बुलंद हौसले के साथ इस कार्य को कर रहा हूँ। गया जिला के मोहड़ा प्रखण्ड के अरई पंचायत के अरईकेशोपुर गाँव में वर्ष 1993 से 91% दिव्यांग दो भाईयों ने अनाथ, दिव्यांग और गरीब- असहाय्य बच्चों के बीच नि:शुल्क शिक्षा की अलख जगानें जुटे हैं।उन बच्चों को अपने ही घर- आँगन में पढाते लिखाते हैं। दिव्यांग पंकज कुमार ने गरीब के बच्चों के ज्ञान बांट रहे हैं। जो क़ाबिले- तारीफ़ मुहिम है। वह दिव्याँग होते हुए भी अपने दम पर शिक्षा को दुरूस्त कर रहा है।वगैर किसी के आर्थिक सहयोग और मदद के इस कार्य में लगा हुआ है।दिव्यांग शिक्षक पंकज कुमार का बस एक ही सपना है समाज के गरीब, अनपढ़ बच्चों को शिक्षित कर साक्षर बनाना। उन शोषित- पीड़ित बच्चों को साक्षरता की लौ से प्रकाशवान बनाना लक्ष्य है। ताकी समाज में कोई ठेपामार अनपढ़ ना रह सके। आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के बीच शिक्षा की दीप जला रहे हैं। पढ़ाई से भटके बच्चों की भविष्य को गढ़ने में, सवांरने में लगे हैं दिव्याँग पंकज कुमार। इस तरह बच्चों को मोटिवेट कर रहे हैं दो दिव्याँग भ्राता। इस मुहिम में जुटे हैं दो दिव्यांग भाई गोपाल रविदास और पंकज कुमार। विदित हो दिव्यांग गोपाल पढ़ाई की है और पंकज बी. ए. तक की शिक्षा ग्रहण किया है। विकट परिस्थिति से गुज़रते हुए बड़ी मुश्किल से शिक्षा हासिल किया है। जाहिर हो दोनों भाई दोनों पाँव से दिव्यांग हैं। दिव्यांग होते हुए भी वे दोनों भाई बुलंद हौसले का धनी पुरूष हैं। जिन्होंने शिक्षा को दुरूस्त करने में अहम भूमिका अदा कर रहे हैं। उक्त दो दिव्यांग सहोदर भाई की युगल जोड़ी शिक्षा को मजबूति दे रहे हैं। वे दोनों अपना पूरा वक़्त बच्चों को शिक्षा देने में ही लगाते हैं। ताकी कोई शिक्षा से वंचित नहीं रह सके। इसी वजह से क्षेत्रीय लोग उनकी जज़्बे को प्रणाम करते, सम्मान देते हैं। क्योंकि वे शिक्षा रूपी गहना से गरीब- बेसहारा बच्चों की भविष्य को गढ़ रहे हैं। नीचे वीडियो भी दे देखें 

दिव्यांग की पाठशाला







लेखक,

अशोक कुमार अंज
साहित्यकार- फिल्मी पत्रकारबाबू
आकाशवाणी- दूरदर्शन, पटना से अनुमोदित
वजीरगंज, गया, बिहार

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