सुखाड़ की स्थिति से किसान त्रस्त
बारिश के अभाव में खेत हैं सूखे, खेत में नहीं बुनाया धान का बिचड़ा
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ज़िले की भूजल स्तर में आई कमी : जिला प्रशासन अलर्ट
सुखाड़ जैसी स्थिति पर डीएम त्यागराजन ने जताई चिंता
गया : जिला पदाधिकारी, गया डॉ० त्यागराजन एसएम की अध्यक्षता में गया ज़िले में वर्षा के अभाव में संभावित सुखाड़ के स्थिति को देखते हुए जिला कृषि पदाधिकारी सहित अन्य संबंधित पदाधिकारियों के साथ बैठक करते हुए वर्तमान स्थिति से अवगत हुए।
सर्वप्रथम जिला सांख्यिकी पदाधिकारी गया ने बताया कि 1 जून 2022 से 11 जुलाई 2022 तक सामान्य वर्षापात 240.59 मिलीमीटर होना था परंतु 72.72 वास्तविक वर्षापात मापा गया है।
उन्होंने यह भी बताया कि 1 जुलाई 2022 से 11 जुलाई 2022 तक कुल 25.02 मिली मीटर वास्तविक वर्षापात हुई है।
बैठक में जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि वर्षा नहीं होने के कारण किसान धान की खेती लगभग 0.57% ही किसान धान बोए हैं। उन्होंने बताया कि गया जिले में धान की खेती हेतु 181832 हेक्टेयर में से 1030 हेक्टेयर ही मात्र आच्छादित हुए हैं। उसी प्रकार मक्का की खेती हेतु 7059 हेक्टेयर के विरुद्ध 1877 हेक्टेयर मात्र अच्छादित हुए हैं जो 26.60% है।
उसी प्रकार दलहन की खेती हेतु अरहर दाल के लिए 4379 हेक्टेयर के विरुद्ध मात्र 1004 हैक्टेयर ही अच्छा गीत किया गया है जो 22.92% है इसके साथ ही उरद 280 हेक्टेयर, कुल्थी 416 हेक्टेयर, मूंग दाल 61 हेक्टेयर तथा अन्य दलहन 63 हेक्टेयर हेतु लक्ष्य प्राप्त है परंतु आच्छादन शून्य है।
बैठक में लघु सिंचाई प्रमंडल के अभियंता द्वारा बताया गया कि गया जिले में कुल 181 नलकूप है जिनमें 69 नलकूप चालू तथा 112 नलकूप विभिन्न कारणों से बंद है।
बैठक में बताया गया कि 25 नलकूप विद्युत दोष के कारण बंद है। अभियंता ने यह भी बताया कि 71 वैसे नलकूप है जिन्हें वर्तमान में मुखिया को राशि हस्तांतरण किया जा चुका है।
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ज़िले की सुखाड़ की स्थिति पर गहन समीक्षा करते डीएम त्यागराजन |
जिला पदाधिकारी त्यागराजन ने अधीक्षण अभियंता बिजली विभाग को 1 सप्ताह के अंदर 25 नलकूप जो विद्युत दोष के कारण बंद है उसे चालू करवाने का निर्देश दिए। जिला पदाधिकारी ने उप विकास आयुक्त को निर्देश दिया है कि लघु सिंचाई के 181 नलकूप के विरुद्ध शत-प्रतिशत नलकूप को चालू करवाने हेतु बैठक कर संबंधित पदाधिकारियों को जिम्मेदारी तय करावें।
बैठक में कार्यपालक अभियंता लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा बताया गया कि 30 जून 2021 को औसतन भू-जल स्तर 22.44 फीट दर्ज किए गए थे परंतु 30 जून 2022 को औसतन भूगर्भ जलस्तर 32.02 फीट अंकित किए गए हैं। जिला पदाधिकारी ने कार्यपालक अभियंता पीएचईडी को सख्त हिदायत दिया कि जिले के वैश्य क्रिटिकल वार्ड जहां अभी भी पानी की समस्या है वह निरंतर रूप से टैंकर चल बाय तथा लगातार मॉनिटरिंग करवाते रहें। उन्होंने यह भी कहा कि जिले में पीएचडी के कुल 202 वैसे अक्रियाशील योजनाएं थी, उसे गुणवत्तापूर्ण रिव्यू/ जांच करते हुए पेयजल व्यवस्था को चालू करवाएं।
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गंगा उद्धव प्रोजेक्ट के समीक्षा के दौरान बताया गया कि 31 जुलाई तक राजगीर से मोहड़ा प्रखंड के तेतर में बने डैम में पानी आने की संभावना है। जब ट्रैक्टर डैम में लगभग 30% पानी जमा होने के पश्चात अर्थात 15 अगस्त तक तेतर से अबगिला में पानी लाने का कार्य किया जाएगा। इसके पश्चात 1 सप्ताह के बाद अबगिला से विभिन्न ब्रह्म योनि तथा भूसूंडा के ओवरहेड टैंक में पानी सप्लाई किया जाएगा। यह प्रक्रिया वर्तमान में ट्रायल मोड में रखा जाएगा।
गंगा उउद्धव प्रोजेक्ट देख रहे अभियंता ने यह भी बताया कि अबगिला से ब्रह्मयोनी पहाड़ के ओवरहेड टैंक तक कुल 9 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाया जा रहा है, जिसमें लगभग 3:30 किलोमीटर पाइप लाइन बिछाने का कार्य पूर्ण हो गया है शेष 20 दिनों के अंदर पूर्ण कर लिया जाएगा।
रबर डैम के कार्यों की समीक्षा में यह बताया गया कि 31 अगस्त तक रबड़ डैम के कार्य पूर्ण किए जाएंगे तथा साथ ही साथ घाट का निर्माण भी पूर्ण करने का कार्य किया जा रहा है। घाट निर्माण के क्रम में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के अस्थाई ढांचे में निर्मित स्नानागार बीच में पड़ने के कारण उसे किसी अन्यत्र स्थान पर शिफ्ट करवाने का अनुरोध किया गया। जिला पदाधिकारी ने पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता तथा जल संसाधन के अभियंता को आपस में समन्वय करते हुए स्थल निरीक्षण कर अग्रेतर कार्रवाई करने का निर्देश दिए।
इसके उपरांत तिलैया नहर प्रमंडल वजीरगंज, उत्तर कोयल नहर प्रमंडल गया, सोन उच्च स्तरीय नहर प्रमंडल कुर्था, उत्तर कोयल नहर प्रमंडल मदनपुर के कार्यपालक अभियंता से बारी- बारी से नहर में पानी की उपलब्धता तथा सिंचाई से संबंधित वस्तु स्थिति से अवगत करवाया।
बैठक में संबंधित पदाधिकारी से लगभग यह स्पष्ट हो रहा है कि वर्षा के अभाव में नहर में लगभग 15 से 20% ही पानी उपलब्ध है। जिसके कारण किसानों को सिंचाई करने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
– AnjNewsMedia Presentation