तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय माइंडफुलनेस अनुसंधान सम्मेलन का भव्य आयोजन
3 फरवरी से जारी सम्मेलन 5 फरवरी को होगा संपन्न
छात्रों में समृद्ध संस्कृति और पाठ्यक्रम के माध्यम से माइंडफुलनेस करता विकसित
गया: आईआईएम बोधगया में माइंडफुलनेस पर पहला अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान सम्मेलन (आई.आर.सी.एम.) का आयोजन 3 फरवरी, 2022 से शुरू हुआ, जो कि 5 फरवरी, 2022 को समाप्त होगा। आईआईएम बोधगया अपने छात्रों में समृद्ध संस्कृति और पाठ्यक्रम के माध्यम से माइंडफुलनेस विकसित करता है।
International Mindfulness Research Conference |
संस्थान ने अपने अभियान और मूल मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए सम्मेलन में दुनिया भर के विशेषज्ञों और शोधकर्ताओ को एक मंच पर लाया। यह सम्मेलन संस्थान के समत्वम – द माइंडफुलनेस सेंटर के तत्वावधान में, डॉ. विनीता सहाय, निदेशक, आईआईएम बोधगया के मार्गदर्शन और डॉ निधि मिश्रा, सहायक प्रोफेसर एवं डॉ टीना भारती, सहायक प्रोफेसर के समन्वयन में आयोजित किया जा रहा है। कोविड – 19 संक्रमण से बचाव के मद्देनज़र यह कार्यक्रम आभासी माध्यम से किया जा रहा है, जिसका लाइव प्रसारण यूट्यूब पर भी किया जा रहा है। International Mindfulness Research Conference.
First International Mindfulness Research Conference |
माइंडफुलनेस के अगुआ :-
प्रथम दिन के सत्र में “टूल्स टू ऑप्टिमाइज़ वर्कप्लेस वेलबीइंग” विषय पर सुश्री लोरी श्वानबेक, इमोशनल इंटेलिजेंस कंसल्टेंट ऑन माइंडफुलनेस ने अपना सारगर्भित विचार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “वर्तमान में हम जिस स्थिति का सामना कर रहे हैं, उसे खुले तौर पर स्वीकार करके नकारात्मक पूर्वाग्रह से बचना चाहिए, किसी भी संभावना और सकारात्मकता के लिए अवकाश बनाना चाहिए”|
आगे, उन्होंने उल्लेख किया कि कैसे नकारात्मक पूर्वाग्रह हमारी भलाई में बाधा डालते हैं। उन्होंने अपने वक्तव्य में ध्यान, जर्नल लेखन और श्वास अभ्यास को शामिल किया।| उन्होंने दैनिक जीवन में सभी माइंडफुल अभ्यासों को जीवन में उतारने पर चर्चा की। सुश्री रुचिका सीकरी, संस्थापक, मंडला वेंचर्स ने सत्र को “करुणा – उत्कृष्ट नेतृत्व के लिए एक आवश्यक कौशल” विषय पर चर्चा करते हुए सत्र को आगे बढ़ाया।
उन्होंने ‘सशक्त परियोजना समूह’ के अभूतपूर्व शोध पर अपने विचार साझा किए कि कैसे करुणा प्रामाणिक नेतृत्व की ओर ले जाती है। उन्होंने आगे कहा, “उदार नेतृत्व एक विकसित रूप होने के नाते, चार चरणों की प्रक्रिया के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है, हम ‘जागरूकता निर्माण ‘ के साथ आगे बढ़ते हैं और फिर ‘अनुकम्पा को प्राथमिकता’ देते हुए अग्रसर होते हैं। तदनन्तर हम विविध दृष्टिकोणों को मान देते हुए ‘सहानुभूति’ को एकीकृत करते हैं। कार्यस्थल में इसके महत्व के बारे में बात करते हुए, उन्होंने उद्धृत किया कि, “करुणा स्वस्थ वातावरण को बढ़ावा देती है, क्योंकि यह लोगों को एक-दूसरे के साथ सम्मान के साथ व्यवहार करने के लिए प्रेरित करती है।
इसके अलावा, लक्ष्मी मेनन भाटिया, माइंडफुलनेस अनुशिक्षक ने “भावनात्मक लचीलापन” पर एक कार्यशाला आयोजित किया। उन्होंने यह अवसर प्रदान करने के लिए संस्थान के निदेशक, संकाय और सभी प्रतिभागियों को अपना हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यशाला की शुरुआत ‘शांति मंत्र’ से हुई। आज की तकनीकी और तेजी से बढ़ती दुनिया में, तनाव की सुनामी प्रतीत होती है, जिसका उन्होंने वर्णन किया कि, “ज्ञान की एक धारा है जो सभी प्राचीन मान्यताओं से बहती है, जो पैकेजिंग में बदल सकती है, जो कि हमें यह समझने में मदद करती है कि हम कौन हैं।” उन्होंने भगवद गीता के पाठों का संदर्भ देते हुए रेखांकित किया कि ”हम वास्तविक यात्रा पुन: अपने आप में कर रहे हैं, जैसे कि अर्जुन ने महाभारत में किया था। उन्होंने कहा स्वयं से जुड़ना और संवाद करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि जो व्यक्ति सभी पांचों इंद्रियों को नियंत्रित करने में सक्षम है, उसके सफल होने की संभावना प्रबल होती है।
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माइंडफुलनेस कार्यशाला का विस्तार :-
4 फरवरी, 2022 को सम्मेलन के दूसरे दिन की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन से हुई। गणमान्य व्यक्तियों के हार्दिक स्वागत के उपरांत सम्मेलन के संयोजक ने एक संक्षिप्त किंतु सारगर्भित भाषण दिया। डॉ. विनीता सहाय ने ‘ट्रांसफॉर्मिंग लाइव्स थ्रू माइंडफुलनेस’ पुस्तक का विमोचन करते हुए कि अपने स्वागत भाषण में मूल्य प्रस्ताव के बारे में चर्चा की और रेखांकित किया कि वर्ष 2019-20 वास्तव में संस्थान के आदर्श वाक्य “माइंडफुलनेस” का संस्थापक वर्ष रहा है। उन्होंने एकाग्रता के लाभों पर चर्चा करते हुए कहा, “एकाग्रता एक ऐसा व्यायाम है, जिसका निरंतर अभ्यास करने की आवश्यकता है।”
केवल श्वास पर एकाग्र होकर एकाग्रता में प्रवीणता हासिल की जा सकती है। हम जो भी अभ्यास करते हैं, हम उसके स्वामी बन सकते हैं। उन्होंने रेखांकित किया कि, “एनलाइटेनमेंट हमारी विरासत में है, और आईआईएम बोधगया को एनलाइटेनिंग आईआईएम कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं है।” हमें इसे अपने अंदर संरक्षित और समृद्ध करने की आवश्यकता है।
प्रसिद्ध वक्ताओं का सम्मिलन :-
इसके बाद प्रसिद्ध वक्ता डॉ. रिचर्ड बैडहैम, प्रोफेसर, सिडनी विश्वविद्यालय ने अपने भाषण में “कोविड और कोविड के बाद की दुनिया में माइंडफुलनेस” पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने माइंडफुलनेस के विभिन्न आयामों का वर्णन किया और कहा कि, “अगर हम अपनी रूढ़ मानसिकता से चिपके रहते हैं तो हम अक्सर तनाव में आ जाते हैं, माइंडफुलनेस बदलाव के साथ और वर्तमान पल में जीने के बारे में है।”
अगले मुख्य वक्ता श्री स्कॉट शुट, प्रमुख, माइंडफुलनेस एवं कम्पैशन, लिंक्डइन ने “कार्यशैली को अंदर से बदलना” विषय पर अपने विचार रखें। उन्होंने वक्तव्य के दौरान ज़ोर दिया कि कंपनियों को ध्यान में निवेश करना चाहिए।
आज के औद्योगिक युग में, लोग जीवन का प्रबंधन करने और एक साथ काम करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा ”मानव संसाधन आज कंपनियों की सबसे बड़ी संपत्ति में से एक है और ध्यान उत्पादकता बढ़ाने और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करता है। इसके अलावा, डॉ. रिच फर्नांडीज, मु.का.अ., सर्च इनसाइड योरसेल्फ लीडरशिप इंस्टीट्यूट ने “माइंडफुलनेस एंड टेक्नोलॉजी: द पाथ फॉरवर्ड” विषय पर अपने विचार व्यक्त किए।
उन्होंने मन की क्षमता को स्वीकार किया, क्योंकि हम तंत्रिका तंत्र को बदल सकते हैं और इसके माध्यम से तंत्रिका विज्ञान को नियंत्रित कर सकते हैं। उन्होंने रेखांकित किया कि, “आगे का रास्ता अंदर की ओर है। इस प्रकार, माइंडफुलनेस कई तरह से एक दवा बन सकता है जो व्यक्तिगत स्तर से संगठनात्मक तक जा सकता है। प्रौद्योगिकी और नवाचारों के संदर्भ में उन्होंने कहा, “जब कृत्रिम बुद्धिमत्ता और स्वचालन बढ़ रहा है, तो दिमाग आधारित भावनात्मक खुफिया कौशल की आवश्यकता बढ़ रही है।”
उन्होंने आगे बताया कि कई भावनात्मक और मानसिक सहयोग पर ऐप हैं और युवा पीढ़ी तकनीक की मदद से माइंडफुलनेस के इन भावों को अपना रही है। दिन का अंतिम सत्र प्रसिद्ध वक्ता, डॉ. लिन सी. वेल्डे, प्रोफेसर, पालो ऑल्टो विश्वविद्यालय का था, जिन्होंने “आत्म-देखभाल और आत्म-विकास के लिए माइंडफुलनेस और ध्यान” पर अपने विचार रखा।
उसने विभिन्न विकासात्मक तकनीकों का वर्णन किया, जिसके माध्यम से हम एक सचेत स्तर तक पहुँच सकते हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि, “माइंडफुलनेस और ध्यान अभ्यास जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों के लिए सुलभ और स्वीकार्य हैं क्योंकि वे ध्यान, भावनाओं, विचारों और व्यवहार के स्व-नियमन के विकास को बढ़ावा देते हैं।”
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सम्मेलन का समापन कल, तैयारी पूरी :-
5 फरवरी, 2022 को सम्मेलन का अंतिम दिन का समापन सत्र सम्मानित वक्ता डॉ. अमित बर्नस्टीन, प्रोफेसर, हाइफ़ा विश्वविद्यालय द्वारा “शरणार्थियों के लिए माइंडफुलनेस-आधारित ट्रॉमा रिकवरी: हेल्पिंग रिफ्यूजी हील” विषय पर संबोधन के साथ शुरू होगा। अंतिम संबोधन डॉ. डेबोरा एल. शूस्लर, एसोसिएट प्रोफेसर, पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा “माइंडफुलनेस-आधारित हस्तक्षेप: चुनौतियां” विषय पर होगा।
सम्मेलन ने शोधार्थियों को सहयोग करने, विचारों का आदान-प्रदान करने और शोध पत्र प्रस्तुत करने के लिए एक मंच प्रदान किया। विभिन्न क्षेत्रों में माइंडफुलनेस की भूमिका, माइंडफुल मार्केटिंग, माइंडफुलनेस एंड सस्टेनेबिलिटी, माइंडफुलनेस एंड टेक्नोलॉजी, वर्कप्लेस माइंडफुलनेस एंड एम्प्लॉयी वेलबीइंग, ऑर्गनाइजेशन माइंडफुलनेस और कई अन्य विषयों पर लगभग 77 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए।
तीन दिवसीय सम्मेलन का समापन श्रेष्ठ पेपर प्रस्तुति पुरस्कार की घोषणा के साथ होगा।