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प्रो मिठू ने कहा की सन 1973 में अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ ने 138 वें सम्मेलन में न्यूनतम आयु पर लोगो का ध्यान केंद्रित किया, जिसका मकसद बाल मजदूरी को समाप्त करना था, इसके 29 वर्ष बाद 2002 में अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ ने बाल श्रम रोकने का मुद्दा विश्व पटल पर रखा , फिर वर्ष 2002 में विश्व बाल श्रम निषेध कानून सर्वसमती से पारित हुआ, जिसके तहत 14 वर्ष से कम आयु के बच्चो से मजदूरी करवाना अपराध घोषित किया गया।
प्रो मिठू ने कहा की बाल श्रम के प्रचलन को पूरी तरह समाप्त करने के लिए सभी श्रम संगठनों, सामाजिक संगठनों, राजनीतिक दलों, एवम् आमजन को जनजागरण अभियान एवम निरंतर ध्यान केंद्रित कर 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे को कही भी कार्य करते हुए देखने या पाए जाने पर काम करने वालो को दंडित कराने हेतु संकल्पित होना होगा।
प्रो मिठू ने कहा की बाल श्रम में संलिप्त बिचौलियों की भूमिका निभाने वाले लोग जो छोटे, छोटे बच्चो के अभिभावकों को लालच देकर उनके घर से काफी दूर काम कराने को ले जाते है, जिसकी कमाई का आध हिस्सा अपने रखते है, वैसे तत्व को चिन्हित करना भी हम सबका दायित्व बनता है।
प्रो मिठू ने कहा की प्रतिवर्ष बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर संपूर्ण देश के आम आवाम इस बात को सुनिश्चित करे की हमारे, घर, मुहल्ले, गांव, में कोई 14 वर्ष के नीचे का बच्चा काम तो नही कर रहा है।