Unicef के कार्यशाला का DM ने किया उद्घाटन
ज़िले के गर्भवती महिलाओं हेतु कैम्प जागरूकता पर दिया गया जोर
कार्यशाला का DM ने किया उद्घाटन |
गया : गया में ICDS, Health विभाग एवं Unicef के संयुक्त तत्वाधान में Workshop का आयोजन किया गया।
उक्त कार्यशाला का उद्धाटन जिलाधिकारी डॉक्टर त्यागराजन एसएम द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया।
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कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य एवं ICDS में बेहतर समन्वय स्थापित करते हुए सभी सेवाओं का बेहतर लाभ, लाभुकों तक पहुॅचाना था।
कार्यशाला में मौजूद DM त्यागराजन |
कार्यशाला में DM द्वारा प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए बताया गया कि अपने स्तर से सभी सेवाओं का लाभ, लाभार्थियेां को देना सुनिश्चित करें।
विशेष रूप से T.H.R., जननी बाल सुरक्षा योजना, मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना इत्यादि का लाभ ससमय और सही प्रकार से सभी योग्य लाभार्थी को देना सुनिश्चित करें ।
महिलाओं में एनिमिया को दूर करने एवं बच्चों में पाई जाने वाली विकलांगता जिसका ससमय इलाज से सुधार संभव है, उसपर फोकस कर कार्य करने हेतु निदेशित किया गया।
कार्यशाला में DM त्यागराजन का स्वागत |
साथ ही pregnant women (गर्भवती महिलाओं) हेतु विभिन्न कैम्प लगाकर जागरूकता उत्पन्न करने हेतु निदेशित किया गया ताकि जानकारी के अभाव में विभिन्न कारणो से होने वाली जन्मजात विकृतियों से नवजात शिशुओं को बचाया जा सके।
DM ने श्रवण श्रुति तथा वंडर एैप के तहत् ICDS तथा Health विभाग द्वारा किये गये कार्यो पर संतोष व्यक्त किया गया एवं उसमें और तेजी लाने का Guideline दिया। उन्होंने कहा कि अब तक के 33 हजार बच्चों को श्रवण श्रुति प्रोजेक्ट के तहत Screening (स्क्रीनिंग) किया गया है।
उन्होंने कहा कि मई महीने तक जिले में 01 लाख बच्चों को स्क्रीनिंग करने का लक्ष्य निर्धारित रखा गया है। DM द्वारा श्रवण श्रुति की तरह से ही अन्य दिव्यांगता तथा जटिल बीमारियों हेतु Special Work करने पर बल देते हुए यह आह्वान किया गया कि Health एवं ICDS मिलकर बहुत सारे कार्यो को और बेहतर तरीके से कर सकता है एवं गया जिले को एक उदाहरण स्वरूप स्थापित कर सकता हैं।
उन्होंने कहा कि icds तथा health विभाग आपस में पूरी तरह से समन्वय करते हुए जिले के सभी प्रखंडों में व्यापक पैमाने पर 5 साल से कम उम्र वाले बच्चों को Screening (स्क्रीनिंग) कराने में पूरी प्रभावी रूप से कार्य करें। उन्होंने यह भी कहा कि WHO (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार बताया गया है कि हर 1000 बच्चों में से 5 से 8 बच्चे में लो हियरिंग पाई जाती है।
श्रवण श्रुति प्रोजेक्ट में गया जिला को मॉडल बनाते हुए राज्य के 10 जिलों को शामिल किया गया है जहां उनके बच्चों को भी यह उपचार दिया जा रहा है।
इसी प्रकार उन्होंने वंडर प्रोजेक्ट के तहत किए जा रहे कार्यों के बारे में कहा कि गर्भवती महिलाओं को T.H.R. वितरण नियमित तौर पर किया जाए। बच्चा जन्म होने से पहले सभी प्रकार की जांच कराने हेतु एक SOP (एसओपी) बनाया जाए तथा हर आंगनवाड़ी सेंटर पर जांच की व्यवस्था रखी जाए।
उन्होंने यह भी निर्देश दिया है कि बाल विकास परियोजना पदाधिकारी तथा संबंधित सुपरवाइजर भी यह नियमित तौर पर जांच करते रहे कि उनके क्षेत्र में T.H.R. वितरण नियमित तौर पर हो रहा है या नहीं।
उन्होंने कहा कि प्रायः यह देखा गया है कि pregnant women (गर्भवती महिलाओं) में लगभग 40 से 50% वैसी महिलाएं पाई जाती हैं जो एनीमिया से ग्रसित रहती हैं।
इन्हीं सभी छोटी-छोटी बीमारियों को देखते हुए वंडर ऐप कार्यक्रम शुरू की गई है ताकि उनकी सभी प्रकार की जांच समय अवधि में हो और उन्हें डिलीवरी के दौरान कोई समस्या ना हो सके।
वंडर प्रोजेक्ट से यह सुनिश्चित कराया जाएगा कि जच्चा और बच्चा दोनों को स्वस्थ रखा जाए।
DM ने तमाम पदाधिकारियों को कहा कि श्रवण श्रुति प्रोजेक्ट तथा वंडर प्रोजेक्ट में पूरी मेहनत लगन तथा ईमानदारी से कार्य करें ताकि भविष्य में आपको गर्व होगा कि आपके इस मेहनत से कितने बच्चे को सफलतापूर्वक जीवन दिया है।
Workshop को Unicef के राज्य स्तर से आये हुए प्रतिनिधियों ने भी सम्बोधित किया यूनिसेफ से आए राधवेन्द्र कुमार एवं डाॅ शिवानी धर ने बताया कि कम्युनिटी में पोषक तत्व की कमी होने के बच्चों में पूर्ण रूप से विकास नहीं हो पाता है।
अतः बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए जरूरी है कि उनके खान-पान एवं पोषण देखभाल का विशेष ध्यान रखा जाय।
इस अवसर पर CS (सिविल सर्जन), गया द्वारा बताया कि महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण देखभाल के लिए Health विभाग द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही है।
डाॅ एम ई हक द्वारा MCP card (एम॰सी॰पी कार्ड) (मातृ एवं बाल सुरक्षा कार्ड) के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई गई ।
कार्यक्रम में उपस्थित प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए जिला प्रोग्राम पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि वर्तमान में icds के तहत् 80 प्रतिशत बच्चों का ग्रोथ माॅनिटरिग पोषण ट्रैकर के माध्यम से कर लिया गया है।
साथ ही अन्य गतिविधियों का आयोजन कर लगातार कुपोषण को दूर करने के लिए विभागीय Guideline का पालन सुनिश्चित किया जा रहा है।
workshop का संचालन unicef की सुश्री ईषा द्वारा किया गया, इस वर्कशॉप में विभिन्न प्रखंडों के बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, जिला समन्वयक, प्रखंड समन्वयक, ब्लाॅक हेल्थ मेनेजर एवं डेवलपमेंट पार्टनर शामिल हुए।
समीक्षा बैठक
गया समाहरणालय सभाकक्ष में जिला पदाधिकारी डॉ त्यागराजन एसएम ने गया जिले में गर्मी के मौसम में शहरी एवं दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में नल जल योजना तथा सार्वजनिक चापाकल की स्थिति से संबंधित समीक्षा बैठक की गई।
इस वर्ष गर्मी के मौसम में किसी भी टोले में /कस्बे में पानी की कोई समस्या ना हो, इसके लिए अभी से ही माइक्रो लेवल पर सर्वेक्षण करवाने का निर्देश ज़िला पदाधिकारी डॉ० त्यागराजन एसएम ने कार्यपालक अभियंता PHED को दिया है।
जिला पदाधिकारी ने निर्देश दिया है कि जिले के सभी प्रखंडों में सार्वजनिक चापाकलो कि मरम्मत के लिए Team का गठन (मरामति गैंग) कर ले।
उन्होंने कहा कि सभी विधायकों तथा अन्य जनप्रतिनिधियों से भी उनके क्षेत्र में खराब पड़े चापाकलो का लिस्ट प्राप्त कर लें तथा समय-समय पर सभी विधायक एवं अन्य जनप्रतिनिधियों से भी जानकारी लेते रहे कि उनके क्षेत्र में कहीं कोई पेयजल की समस्या है या नहीं।
उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि चापाकल मरम्मति गैंग दल जब फील्ड में जाएंगे तो उस क्षेत्र के संबंधित मुखिया एवं प्रखंड प्रमुख को भी निश्चित तौर पर सूचित करेंगे कि उनके क्षेत्र में आज सार्वजनिक चापाकलो की मरम्मत की जा रही है।
जिला पदाधिकारी ने सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी तथा पंचायत राज विभाग के टेक्निकल असिस्टेंट को निर्देश दिया है कि टोला बार अपने क्षेत्र के सार्वजनिक चापाकलो की सूची एक फॉर्मेट में अंकित करे की किस स्थान पर कितनी संख्या में चापाकल खराब है/ डिफंग है/ अथवा किस कारण से बंद है ताकि उसे सही से आकलन कर चालू करवाया जा सके।
नल जल योजना के संबंध में जिला पदाधिकारी ने स्पष्ट निर्देश दिया कि मार्च 2023 के अंतिम तक PHED की सभी योजनाएं, सभी वार्डों में फंग्शनल बनाएं।
जिस वार्ड में नल जल बंद है उसे सर्वेक्षण कराएं तथा पेयजल को इस गर्मी के मौसम के पहले दुरुस्त करा दे। इस गर्मी में कोसिस करे की किसी भी कस्बे में पानी की दिक्कत न हो।
उन्होंने कहा कि ज्यादातर मोटर एवं मोटर स्टार्टर जलने की सूचना मिलती है, जिसके कारण पेजल बंद रहता है।
उन्होंने निर्देश दिया कि इस गर्मी में पूरी तत्परता से छोटी-छोटी समस्याओं को मरम्मत करवाते हुए जलापूर्ति सुचारू रखें।
उन्होंने कहा कि जहां भी नल जल योजना का अधूरा काम हुआ है या आधा काम कर कर के संवेदक भाग गया है, वैसी योजनाओं पर विशेष ध्यान देते हुए संवेदक से सुनिश्चित करवाएं कि मार्च अंतिम तक कार्य पूर्ण कर ले।
जिला पदाधिकारी ने कार्यपालक अभियंता PHED को निर्देश दिया कि प्रतिदिन नियमित तौर पर तीन से चार टोलो का स्वयं स्थल निरीक्षण करेंगे।
उन्होंने कहा कि पेयजल सुचारू रहे इसके लिए टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा जिसमें उप विकास आयुक्त, पीएचईडी के कार्यपालक अभियंता, वरीय उप समाहर्ता अमित राजन, सभी अनुमंडल पदाधिकारी, जिला पंचायत राज पदाधिकारी तथा सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी शामिल होंगे।
इन संबंधित पदाधिकारियों द्वारा पूरे जिले का पेयजल समस्या पर नजर रखी जाएगी तथा कहीं समस्या आने पर क्विक रिस्पांस करते हुए समस्या को दूर किया जाएगा।
– AnjNewsMedia Presentation