DM- SSP Meeting

समाहरणालय गया
(ज़िला जन सम्पर्क शाखा)
*विधि व्यवस्था के लिए प्रशिक्षण हेतु कार्यशाला का हुआ आयोजन ।*
गया, 11 जुलाई 2018, विधि व्यवस्था की विषम स्थिति से निपटने के लिए पुलिस लाइन परिसर में कार्यशाला का आयोजन कर दंडाधिकारियों एवं पुलिस पदाधिकारियों को प्रोत्साहित किया गया। इस अवसर पर जिलाधिकारी श्री अभिषेक सिंह ने कहा कि बंद, जुलूस, दुर्गा पूजा, मुहर्रम एवं अन्य पर्व के अवसर पर विधि व्यवस्था एवं शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए पुलिस पदाधिकारियों एवं दंडाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति होती है, लेकिन विषम परिस्थिति उत्पन्न होने पर प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी एवं पुलिस पदाधिकारी द्वारा सही रिस्पांस नहीं दिया जाता हैं, जिसके कारण समस्या और विकराल हो जाती है।
विधि व्यवस्था को प्रभावी रूप से नियंत्रित करने के लिए सभी दंडाधिकारियों और पुलिस पदाधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है उनके लिए यह भी आवश्यक है कि वह आपसी समन्वय के साथ ड्यूटी करें। ऐसा देखा जा रहा है कि विधि व्यवस्था की चुनौती लगातार बढ़ती ही जा रही है। समस्या उत्पन्न होने पर बहुत कम समय मे अधिक बल की आवश्यकता पड़ती है, लेकिन कम समय में पुलिस बल एवं दंडाधिकारी एकत्रित नहीं हो पाते हैं। इसलिए यह महसूस किया गया कि विधि व्यवस्था के लिए प्रशिक्षण दिया जाए। तथा विशेष परिस्थिति में दंगा नियंत्रण के लिए क्या क्या साधन उपलब्ध हैं, क्या किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आप सबों की प्रतिनियुक्ति महत्वपूर्ण जगहों पर होती है। किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न होने पर उसे कैसे टेकल करना है, कैसे नियंत्रित करना है, किस तरह से आगे बढ़कर उसे रोकना है। इसके लिए आज का प्रशिक्षण का आयोजन किया गया है।
जिलाधिकारी ने संबोधित करते हुए दंडाधिकारियों को कहा कि जितने भी लोग हैं वे ड्यूटी के दौरान प्रोटेक्ट वियर पाहनकर रहेंगे। उन्होंने कहा कि दंडाधिकारियों को 1 सप्ताह के अंदर एक जैकेट उपलब्ध कराया जाएगा, जिस पर मजिस्ट्रेट लिखा होगा। ड्यूटी के दौरान दंडाधिकारी इन जैकेट को पहन कर ही ड्यूटी करेंगे । उन्होंने कहा कि सभी पदाधिकारी को समस्या के समय अलग-अलग रूट में रहना चाहिए। ऐसा देखा जाता है कि एक ही जगह पर सभी पदाधिकारी एकत्रित हो जाते हैं। और बलवाई एक गली को छोड़कर दूसरे गली में पहुंचकर बलवा करने लगते हैं। हम जहां कहीं शांति स्थापित कर देते हैं तो उस जगह पर भी पुलिस पदाधिकारी एवं दंडाधिकारी की मौजूदगी रहनी चाहिए। यदि वहां से पुलिस की अनुपस्थिति हो जाती है, तो फिर से वहां बलवा करने लगते हैं। उन्होंने कहा कि भीड़ को कुछ लोग गुमराह भी करते हैं। इसलिए पदाधिकारियों को अपने क्षेत्र के लोगों के संबंध में जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विधि व्यवस्था की प्रतिनियुक्ति के दौरान वीडियोग्राफी निश्चित रूप से कराई जानी चाहिए। भीड़ में कुछ लोगों को चिन्हित करने की आवश्यकता है। जिलाधिकारी ने कहा कि विधि व्यवस्था के दौरान वायरलेस का प्रयोग किया जाना चाहिए क्योंकि मोबाइल से वन टू वन संवाद प्रेषित होता है जबकि वायरलेस से वैन टू मॉस संवाद होता है। विधि व्यवस्था के दौरान दंडाधिकारी पुलिस पदाधिकारी को प्रदर्शनकारी के बात करना चाहिए।
वरीय पुलिस अधीक्षक ने बताया कि विधि व्यवस्था की समस्या को नियंत्रित करने के लिए संसाधन से अधिक आपका एटीच्युड आवश्यक है। यह आवश्यक है कि जो दंडाधिकारी और पुलिस पदाधिकारी ओं थे स्पॉट उनका एटीट्यूड क्या है। शारीरिक और मानसिक रूप से वे कितना तैयार हैं। उन्होंने एक कहावत कही कि “शांति के समय सेना जितना अधिक पसीना बहता है, युद्ध के समय उसे उतना ही कम पसीना बहाना पड़ता है।” उन्होंने उपस्थित दंडाधिकारियों पुलिस पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि जितना ज्यादा आप तैयारी करके रहेंगे उतना ही अच्छा प्रभाव ड्यूटी के दौरान दिखेगा । उन्होंने कहा कि कई समस्याएं नियमित रुप से उत्पन्न होती है जैसे सड़क जाम, बंद इत्यादि। उसे कैसे हैंडल करना है। एक छोटी समस्या भी बड़ी समस्या बन जाती है। शुरू में ही यदि उसे ठीक से हैंडल नहीं किया जाए।
स्थानीय दंडाधिकारी एवं पुलिस पदाधिकारी के मुस्तैदी एवं चुस्ती के कारण समस्या विकराल रूप नहीं ले पाती है।
उन्होंने सभी पदाधिकारियों को कहा कि आप सबों को पीपुल फ्रेंडली ऑफिसर बनना पड़ेगा। कभी-कभी ऐसा देखा जाता है कि प्रदर्शनकर्ता की समस्या सही रहती है, लेकिन उसे अनसुनी कर देने पर या सही तरीके से जवाब नहीं देने पर समस्या विकराल रुप धारण कर लेती है । उन्होंने सभी थानाध्यक्ष, सभी अंचलाधिकारी, सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी को संबोधित करते हुए कहा कि यह आप पर निर्भर करता है कि विधि व्यवस्था की समस्या आपके क्षेत्र में किस तरह से रहेगी। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी और पुलिस पदाधिकारी सभी समस्या का समाधान कर सकते हैं, लेकिन यदि वे मौके पर अच्छा व्यवहार प्रदर्शित करें तो समस्या उत्पन्न नहीं होगी।
उन्होंने कहा कि कई बार ऐसा देखा जाता है कि अच्छा व्यवहार नहीं करने के कारण प्रदर्शनकारियों के साथ अन्य असामाजिक तत्व मिलकर खुराफात करने लगते हैं।
उन्होंने दंडाधिकारियों एंड पुलिस पदाधिकारियों को कहा कि सबसे पहले आप में आत्म अनुशासन होना आवश्यक है । दंडाधिकारी एवं पुलिस पदाधिकारी द्वारा 3 से 4 घंटे की ड्यूटी यदि मन लगाकर की जाए तो किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न नहीं होगी।
उन्होंने विधि व्यवस्था के दौरान प्रतिनियुक्त पुलिस पदाधिकारियों, दंडाधिकारियों को स्थानीय लोगों से बात करने, उनसे समन्व बनाने एवं मधुर संबंध स्थापित करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि यदि आप 10 स्थानीय लोगों से मधुर संबंध स्थापित कर लेते हैं तो वह और कुछ नहीं तो समस्या के समय आपके साथ खड़े जरूर नजर आएंगे।
उन्होंने पदाधिकारियों को अपनी डिग्निटी मेंटेन करने का सुझाव दिया। बल प्रयोग करने के संबंध में उन्होंने बताया कि बल का प्रयोग सही समय पर समानुपातिक होना चाहिए। जितनी आवश्यकता हो उतना ही बल का प्रयोग हो। शुरू में कम बल का प्रयोग की आवश्यकता पड़ती है। लेकिन सही समय पर समानुपातिक बल का प्रयोग करने पर समस्या खत्म हो जाती है। उन्होंने कहा कि बल प्रयोग करने के समय अपना व्यक्तिगत कारण नहीं ऑफिशियल हैसियत से बल प्रयोग करना चाहिए और जनता के साथ रह करके रिस्पांस करना चाहिए। बल का प्रयोग भीड़ को तितर-बितर करने के लिए करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि जब किसी समूह के द्वारा किसी मांग के लिए सड़क जाम या बंद का आह्वान किया जाता है तो धीरे धीरे वह भीड़ बवाल करने पर उतारू हो जाती है। जब संख्या से अधिक भीड़ एकत्रित हो जाती है तो वह अवैधानिक हो जाती है और अवैधानिक भीड़ को तितर बितर करना आवश्यक हो जाता है। यदि वे नियम संगत मांग करते हैं। सही तरीके से करते हैं। अनुशासित तरीके से करते हैं, तो ठीक है। यदि भीड़ बलवाई का रूप धारण करती है तो इसके बाद वह अनलॉफूल एसेंबली हो जाती है। और इसके बाद संबंधित दंडाधिकारी पुलिस पदाधिकारी यह घोषणा कर सकते हैं कि 5 मिनट में यदि भीड़ खाली नहीं होगी, तो बल का प्रयोग किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भीड़ में बहुत सारे लोग यह महसूस करते हैं कि उन्हें कोई नहीं पहचानता है और वह बड़ी से बड़ी घटना का अंजाम देकर जा सकते हैं। भीड़ की मानसिकता होती है कि मुझे कोई नहीं पहचानता है।
उन्होंने थानाध्यक्षों को हर काम को रूटीन में करना बताया। रोड जाम को रूटीन कार्य में नहीं लेने का निर्देश उन्होंने सभी थाना प्रभारियों को दिया। उन्होंने कहा कि यह नहीं चलेगा कि छोटी-छोटी बातों पर रोज रोड जाम की समस्या उत्पन्न की जाए। उन्होंने सभी थाना प्रभारी को कहा कि रोड जाम करने वाले भीड़ में से कम से कम 10 लोगों पर नियमित रूप से FIR किया जाए। उन्होंने चेतावनी दी आगे से यदि ऐसा नहीं किया जाएगा तो संबंधित थाना प्रभारियों पर के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि समस्या उत्पन्न करने वाले को बचाने की कोशिश ना करें।
उन्होंने इस दौरान दंगा निरोधक अस्त्रों का प्रदर्शन किया और उनके प्रयोग के संबंध में सभी पदाधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि अस्त्र द्वितीय आवश्यकता है पहली आवश्यकता आपका आत्मविश्वास है। अगर आप आत्मविश्वास के साथ 4 लोग खड़े रहेंगे तो कोई विधि व्यवस्था की कोई समस्या नहीं होगी। उन्होंने कहा कि ड्यूटी के लिए प्रतिनियुक्त मजिस्ट्रेट को भी कानून के द्वारा जिलाधिकारी के समान शक्ति प्रदान की गई है। समस्या उत्पन्न होने पर आप अपने अधिकारों का प्रयोग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि विधि व्यवस्था के लिए सभी पुलिस पदाधिकारी हेलमेट पहन कर ही ड्यूटी करें। टोपी अपने आवास पर ही रख दें और पूरी तैयारी के साथ आये।
उन्होंने कहा कि आत्मविश्वास से भरा 50 सिपाही 5000 की भीड़ को तितर-बितर कर सकता है। उन्होंने कहा कि यह देखा जाता है कि पुलिस पदाधिकारी एवं दंडाधिकारी यह सोंचकर आगे की कार्रवाई नहीं करते हैं कि कहीं उनके विरुद्ध ही कोई कार्रवाई न हो जाए। उन्होंने कहा कि कार्रवाई से नहीं डरें। कानून ने आपको अधिकार प्रदान किया है और सही काम करने के लिए आपको कोई सजा नहीं होगी। उन्होंने समस्या के समय कितनी जल्दी जल की आपूर्ति की जाती है यह भी ख्याल रखने को कहा।
इस अवसर पर वरीय पुलिस अधीक्षक श्री राजीव मिश्रा द्वारा हेलमेट, टीयर गैस, टियर गैस ग्रनेड, स्टन ग्रेनेड, , थ्रीवे ग्रेनेड, डाई मारकर ग्रेनेड, रबर बुलेट, पिलेट गन, पेपर गन का प्रदर्शन (डेमोस्ट्रेशन) किया गया। उन्होंने कहा कि टियर गैस का प्रयोग तब करते हैं जब खुली जगह हो और भीड़ की दूरी डेढ़ सौ मीटर से अधिक की होती है ताकि भीड़ को भागने की जगह मिल सके।बंद जगह पर इसका प्रयोग नहीं किया जाता है। हवा का रुख देखकर भी टीयर गैस का प्रयोग किया जाता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए लॉकिंग फायर लीवर को रखना पड़ता है ताकि पता चल सके कितने टियर गैस का प्रयोग किया गया।
उन्होंने कहा कि 50 मीटर से कम की दूरी पर अवस्थित भीड़ के लिए टीयर गैस ग्रनेड का प्रयोग करते हैं।
इससे बड़े क्षेत्र के लिए थ्रिवे ग्रनेड का प्रयोग किया जाता है।
स्टन ग्रनेड तेज आवाज के साथ फटता है और आसपास के 10 से 15 लोगों को यह चेतना शून्य कर देता है। उन्होंने कहा कि यह बच्चों और बुजुर्गों की भीड़ में इसका प्रयोग नहीं किया जाता है।
डाई मारकर ग्रेनेड के संबंध में बतलाया गया की भीड़ पर इसका प्रयोग करने पर उस स्थान पर उपस्थित सभी लोगों के कपड़े डाई(रंगीन) हो जाते हैं।और बाद में जब घर की इंक्वायरी की जाती है तो बलवाइयों को पहचानने में साक्ष्य का साक्ष्य के रूप में इसका उपयोग किया जाता है । यह रंग आसानी से नहीं छूटता है।
रबर बुलेट के संबंध में उन्होंने बताया कि यह जबरदस्त चोट करती है और जिस पर इसका प्रयोग किया जाता है 10 दिन तक उस पर चोट का असर रहता है ।
पिलेट गन गैस से चलता है और इसमें बहुत तेजी से फायरिंग होती है। इसकी क्षमता बहुत अच्छी है और बहुत चोट करती है ।
पेपर गन भी गैस से चलता है।
उन्होंने कहा कि इन अस्त्रों का इस्तेमाल विधि व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने के दौरान किया जा सकता है।
नगर पुलिस अधीक्षक श्री अनिल कुमार ने कहा कि शुरू में ऐसा देखा जाता है कि लोग यदि सही बात के लिए एकत्रित होते हैं तो पहले उनकी बात सुनी जानी चाहिए। अगर आपके स्तर से समाधान हो सकता है तो ठीक है नहीं तो वरीय पदाधिकारियों के समक्ष समस्या रखने की बात की जा सकती है। उन्होंने कहा कि सभी थाने के गाड़ी में पी ए सिस्टम होनी चाहिए। अवैध भीड़ को पहले सूचित करना आवश्यक है। लाठी का प्रयोग के लिए उन्होंने कहा कि लाठी ड्रिल में इसकी जानकारी दी जाती है। अधेड़ उम्र के व्यक्ति, महिला एवं बच्चों पर लाठी का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए साथ ही लाठी का प्रयोग कमर के नीचे किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि लाठी का गलत प्रयोग पुलिस के सही काम पर भी सवाल खड़ा हो जाता है । एक ही व्यक्ति पर लगातार बल प्रयोग भी नहीं करना चाहिए।
Advertisement

इस अवसर पर भाप्रसे के प्रशिक्षु पदाधिकारी योगेश कुमार सागर, उप विकास आयुक्त श्री किशोरी चौधरी, अपर समाहर्त्ता श्री राज कुमार सिन्हा ने भी अधिकारियों को संबोधित किया।
उप निदेशक जन सम्पर्क
मगध प्रमण्डल, गया।

Leave a Comment

You cannot copy content of this page

error: Content is protected !!