बिहार महिला एवं बाल विकास निगम की पहल
जिला प्रशासन के सहयोग से जेंडर बजटिंग पर गया में प्रमंडल स्तरीय कार्यशाला का आयोजन
प्रमंडल के सभी जिलों के सम्बंधित विभागों के जिला स्तर के पदाधिकारी किये शिरकत
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उद्घाटन : प्रमंडल स्तरीय जेंडर बजटिंग कार्यशाला |
गया : बोधगया में महिला एवं बाल विकास निगम द्वारा गया में प्रमंडल स्तरीय जेंडर बजटिंग कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला का उद्घाटन महिला एवं बाल विकास निगम के कार्यपालक निदेशक अजय कुमार श्रीवास्तव द्वारा निदेशक, राजीव वर्मा, औरंगाबाद के उप विकास आयुक्त अभ्येंद्र मोहन सिंह एवं अन्य गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति में दीप प्रज्वलित कर किया गया किया।
औरंगाबाद के उप विकास आयुक्त अभ्येंद्र मोहन सिंह ने कहा कि आज के इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में जो जानकारी प्राप्त करेंगे, उस के आलोक में हम लोग जिलों में उस तरह की जो नीतियां है, कार्यक्रम है, उसको प्रभावी ढंग से लागू कर पाएंगे।
निगम के निदेशक राजीव वर्मा ने कहा कि समाज में जो भी चीजें होती है वो हमारे सामाजिक और सोशल लाइफ को प्रभावित करता है। जेंडर रिस्पॉन्सिव बजटिंग महिलाओं को विकास की मुख्य धारा में लाने का एक सशक्त माध्यम है। जिससे महिलाओं को भी विकास का लाभ और बराबर अवसर पुरुषों के समान मिल सके।
निगम के कार्यपालक निदेशक अजय कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि बिहार सरकार महिलाओं और किशोरियों के सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध हैं। लैंगिक भेदभाव को समाप्त करने के लिए सरकार ने जेंडर बजटिंग का प्रावधान किया है।
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जेंडर बजटिंग का उद्देश्य सफलता |
जेंडर बजटिंग का उद्देश्य तभी सफल हो सकता है, जब हम इसके परिणामों का विश्लेषण जमीनी स्तर करेंगे। सिर्फ बजट को महिलाओं के लिए निर्धारित कर देने से महिलाओं की स्थिति में सुधार नहीं हो सकता बल्कि ज़रूरी है कि हमारा समाज जेंडर के लेकर अपने पूर्वाग्रह को बदले।
जब तक हम अपना माइंड सेट नहीं बदलेंगे तब तक बजट में किए गए प्रावधान का असल सामाजिक परिणाम सामने नहीं आयेगा। महिला एवं बाल विकास निगम इस प्रकार की कार्यशालाएं प्सभी प्रमंडलों में करेगी, इस कड़ी में यह पहला कार्यक्रम है।
सेंटर फॉर कैटेलाईजिंग चेंज की डॉ अनामिका प्रियदर्शी ने जेंडर की अवधारणा से अपना सत्र शुरू किया। उन्होंने बिहार में महिलायों की स्थिति के बारे में बताते हुए कहा कि बिहार में अब भी लगभग आधी आबादी एनीमिया से पीड़ित हैं। सेंटर फॉर कैटेलाईजिंग चेंज की सुश्री गुंजन बिहारी ने जेंडर बजट के महत्व के बारे में बताया।
तकनीकी सत्र के दौरान जेंडर बजटिंग की अवधारणा के बारे में बताते हुए वर्ल्ड हेल्थ पार्टनर की जेंडर विशेषज्ञ सुश्री अंकिता भट्ट जेंकहा कि जेंडर बजट के आधार पर ही हम विकास को समावेशी बना सकते हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर कुल बजट का 4.4 जेंडर के लिए एलोकेटेड है। जबकि बिहार में यह कुल बजट का 15 प्रतिशत है। इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण प्लानिंग करना है। बजट के आवंटन को जेंडर सेंसिटिव बनाने के साथ ही उस राशि को सही तरीके से खर्च करना होगा।
कार्यक्रम में प्रमंडल के सभी जिलों के सम्बंधित विभागों के जिलास्तर के पदाधिकारियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन निगम की प्रबंधक, क्षमतावर्धन सुश्री रश्मि रंजन ने किया।
श्रवण श्रुति कार्यक्रम के तहत 15 हजार बच्चों का हुआ स्क्रीनिंग
112 बच्चे बेरा टेस्ट के लिए हुए रेफर
56 बच्चों की जांच में 24 पॉजिटिव
जिलाधिकारी डॉ त्यागराजन स्वयं कर रहे श्रवण श्रुति प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग
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सुनने की समस्या से प्रभावित बच्चों की स्क्रीनिंग |
हियरिंग लॉस यानि सुनने की समस्या से प्रभावित बच्चों की स्क्रीनिंग कर उनका आवश्यक इलाज किया जा रहा है।
ऐसे बच्चों की सूची बनाकर उन्हें डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर भेजा जाता है ताकि वहां उनका आवश्यक बेरा टेस्ट किया जा सके।
इसे लेकर जिला में महत्वाकांक्षी श्रवण श्रुति कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। इस पूरे प्रोजेक्ट के कार्यों का जिलाधिकारी डॉ त्यागराजन एसएम स्वयं अपने स्तर से समीक्षा तथा अनुश्रवण कर रहे हैं। एक एक बच्चों की इलाज संबंधी पूरी जानकारी स्वयं ले रहे हैं।
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समस्या से प्रभावित बच्चों की स्क्रीनिंग |
जिलाधिकारी का निर्देश है कि आइसीडीएस और स्वास्थ्य विभाग समन्वय स्थापित कर कम सुनने की क्षमता से प्रभावित बच्चों को चिन्हित करें तथा उनकी सूची बनायें।
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गया डीएम त्याग की पहल : कैंप लगा कर सुनने की समस्या से प्रभावित बच्चों की इलाज |
आंगनबाड़ी केंद्रों पर कैंप लगा कर बच्चों की स्क्रीनिंग करें तथा उन्हें आवश्यक इलाज की सुविधा मुहैया करायें। ऐसे बच्चों के परिजनों को पूर्व से कैंप की सूचना दें तथा आंगनबाड़ी केंद्र तक लाने में उनकी हर प्रकार की मदद की जाये।
बच्चों के कानों की जांच राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम तथा स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों के दल द्वारा किया जाये। सुनने की क्षमता की गंभीरता को देखते हुए प्रभावित बच्चों को आवश्यक इलाज के लिए पटना तथा कानपुर स्थित स्वास्थ्य संस्थान भेजा जाये।
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कैंप के जरिये : कानों से सुनने की समस्या से ग्रसित बच्चों का की गई स्क्रीनिंग |
डीईआईसी में होगा बच्चों का बेरा टेस्ट :-
जिला स्वास्थ्य समिति के जिला कार्यक्रम प्रबंधक नीलेश कुमार ने बताया सुनने की क्षमता से प्रभावित बच्चों को चिन्हित करने का काम किया गया है। डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर में 67 बच्चों के बेरा टेस्ट यानि ब्रेन स्टेम इवोक्ड रिस्पॉन्स आडियोमेट्री जांच का काम किया जा रहा है। ऐसे बच्चों के सुनने की क्षमता के प्रभाव की गंभीरता को ध्यान में रख सूची तैयार की जायेगी और उन्हें आवश्यक इलाज की सुविधा मुहैया करायी जायेगी।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम जिला समन्वयक डॉ उदय मिश्रा ने बताया बेरा पॉजिटिव होने का मतलब बच्चा गंभीर रूप से बहरेपन का शिकार है और इसके लिए कॉकलीयर इम्प्लांट विधि अपनाया जाना है।
श्रवण श्रुति कार्यक्रम के प्रखंड स्तर पर अनुश्रवण कर रही स्वास्थ्य विभाग की सहयोगी संस्था यूनिसेफ के संजय कुमार ने बताया बच्चों के बेरा टेस्ट पॉजिटिव निकलने पर उन्हें आवश्यक इलाज कराने के लिए बड़े स्वास्थ्य संस्थानों में भेजा जायेगा।
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जनहितार्थ डीएम त्यागराजन की खास पहल |
बेरा टेस्ट के लिए 56 बच्चे रेफर, 24 पॉजिटिव :-
- बोधगया प्रखंड में 226 आंगनबाड़ी केंद्रों पर 6533 बच्चों की स्क्रीनिंग हुई जिसमें 37 बच्चों को बेरा टेस्ट के लिए रेफर किया गया। इनमें 29 बच्चों का बेरा टेस्ट हो चुका है। छह बच्चों का बेरा टेस्ट पॉजिटिव है।
- शेरघाटी प्रखंड के 105 आंगनबाड़ी केंद्रों पर 1616 बच्चों की स्क्रीनिंग हुई है जिसमें आठ बच्चों को बेरा टेस्ट के लिए रेफर किया गया। इनमें छह बच्चों का बेरा टेस्ट किया गया है।
- टिकारी प्रखंड में 127 आंगनबाड़ी केंद्रों पर 2621 बच्चों की स्क्रीनिंग की गई जिसमें 14 बच्चों का बेरा टेस्ट के लिए रेफर किया गया। सभी बच्चों का बेरा टेस्ट हुआ जिसमें 12 बच्चे बेरा पॉजिटिव मिले हैं।
- खिजरसराय प्रखंड में 103 आंगनबाड़ी केंद्रों पर 1914 बच्चों की स्क्रीनिंग हुई। इनमें 3 बच्चे बेरा टेस्ट के लिए रेफर किये गये. 2 बच्चे बेरा टेस्ट पॉजिटिव पाये गये हैं।
- बेलागंज के 21 आंगनबाड़ी केंद्रों पर 689 बच्चों की स्क्रीनिंग की गयी। तीन बच्चे बेरा टेस्ट के लिए रेफर किये गये इनमें दो बच्चे बेरा टेस्ट पॉजिटिव मिले हैं।
- गया शहरी क्षेत्र में 104 आंगनबाड़ी केंद्रों पर 1726 बच्चों की स्क्रीनिंग की गई जिसमें एक बच्चे को बेरा टेस्ट के लिए रेफर किया गया है। यहां बेरा टेस्ट पॉजिटिव बच्चे नहीं हैं।
जिला पर्यावरण समिति की बैठक
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जिला पर्यावरण समिति की हुई पहली बैठक |
जिला में पर्यावरण संबंधित समस्याओं के निदान हेतु गठित जिला पर्यावरण समिति की पहली बैठक का आयोजन जिला पदाधिकारी की गोपनीय शाखा में नगर पुलिस अधीक्षक श्री राकेश कुमार की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में गया जिला के पर्यावरण से संबंधित सभी बिंदुओं पर व्यापक चर्चा की गई।
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अंज न्यूज़ मीडिया की स्पेशल प्रस्तुति |
बैठक में गया जिले के लिए एक व्यापक जिला पर्यावरण योजना बनाने हेतु सहमति बनी। इसके लिए सभी संबंधित विभागों द्वारा अपने अपने विभाग के आंकडे जिनकी जरूरत जिला पर्यावरण योजना हेतु है। उसे एक सप्ताह के भीतर समर्पित करने का निर्देश दिया गया।
पर्यावरण योजना बनाने हेतु राज्य प्रदूषण नियंत्रक परिषद के द्वारा एजेंसी RSP Green Development and Laboratories Pvt Ltd. का चयन किया गया है।
उक्त एजेंसी के प्रतिनिधि ने योजना बनाने की चरणबद्ध प्रक्रिया से समिति के सदस्यों को अवगत कराया। हर एक जिले में जिला पर्यावरण योजना बनाने का निर्देश माननीय राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण द्वारा दिया गया है।
जिला पर्यावरण समिति की बैठक में वन प्रमंडल पदाधिकरी राजीव रंजन, अपर समाहर्ता, जिला पंचायत राज पदाधिकारी, जिला जन संपर्क पदाधिकारी सहित अन्य संबंधित पदाधिकारी, वरीय उप समाहर्ता उपस्थित थे।
– AnjNewsMedia Presentation