महिलाओं को अपने अधिकार के बारे में बनाया जा रहा सबल
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गया: जिला विधिक सेवा प्राधिकार गया कार्यालय में “महिलाओं के कानूनी अधिकार” विषय पर विधिक जागरूकता सह प्रशिक्षण शिविर का हुआ आयोजन।
पैन इंडिया आउटरीच कैम्पेन के तहत आज दिन शनिवार को महिलाओं के कानूनी अधिकार विषय पर विधिक जागरूकता का प्रशिक्षण शिविर का आयोजन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, गया के कार्यालय सभागार में किया गया। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय महिला आयोग के सहयोग से संपन्न हुआ इस कार्यक्रम में 60 महिलाओं का समूह बनाकर उन्हें प्रशिक्षित किया गया। महिलाओं के समूह में शिक्षिकाएं आगनबाडी कार्यकर्ता हैं आशा जी दिया एवं जीविका समूह की महिलाओं को सम्मिलित किया गया। यह महिलाएं अब अपने क्षेत्र की महिलाओं के उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करेगी। इस जागरूकता से प्रशिक्षण शिविर में महिलाओं के संपत्ति का अधिकार, यौन हिंसा, घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं के लिए उपलब्ध कानूनी प्रावधान बाल विवाह से बचाव, कन्या भ्रूण हत्या, तेजाब हमला, बलात्कार, यौन उत्पीड़न, आदि से पीड़ित महिलाओं के लिए उपलब्ध मुआवजा एवं चिकित्सा प्रावधान के बारे में प्रशिक्षित किया। कार्यक्रम का उद्घाटन अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार श्रीमती अंजू सिंह एवं प्रसिद्ध महिला समाजसेवी श्रीमती गीता देवी ने दीप प्रज्वलित कर किया। मंच संचालन कुमारी सुमन सिंह पैनल अधिवक्ता ने किया। इस मौके पर महिला हेल्पलाइन से पदाधिकारी आरती कुमारी और पैनल अधिवक्ता प्रमिला कुमारी भी मौजूद थी। सचिव महोदय ने बताया कि महिलाओं के कानूनी अधिकार के प्रति महिला को ही सजग रहना होगा उन्होंने महिलाओं के कानूनी अधिकार जैसे कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार, कामकाजी महिलाओं का मातृत्व संबंधी अधिकार, पति अथवा रिश्तेदारों के खिलाफ घरेलू हिंसा से सुरक्षा का अधिकार, कार्यस्थल पर छेड़छाड़ यौन उत्पीड़न से सरंक्षण का अधिकार, पुरुषों के समान पारिश्रमिक का अधिकार पर विस्तार पूर्वक चर्चा किया।
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प्रसिद्ध समाजसेवी श्रीमती गीता देवी ने बताया की बहु को बेटी बनाकर महिलाएं बहु को बेटी बनाकर महिलाओं के अधिकार की सुरक्षा किया जा सकता है। सुर्यास्त पश्चात से सूर्योदय पूर्व तक महिला बंदियों को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। महिलाओं के स्वास्थ्य के अधिकार के बारे में उन्होंने विस्तार पूर्वक जानकारी दिया। पैनल अधिवक्ता प्रमिला कुमारी ने जागरूकता कार्यक्रम सह प्रशिक्षण के दौरान बताया कि पति अथवा रिश्तेदारों के द्वारा अपमान अनादर गाली-गलौज मारपीट करना चोट पहुंचाना घर से निकालना पैसा ना देना दहेज के लिए बार-बार तंग करना और किसी से नहीं मिलने देना घरेलू हिंसा का रूप होता है। इसके लिए आप जिला विधिक सेवा प्राधिकार में आवेदन दे सकते हैं।नजदीकी थाना से संपर्क कर सकते हैं और महिला हेल्पलाइन 181 पर संपर्क कर सकते हैं।
पैनल अधिवक्ता कुमारी सुमन सिंह ने विस्तारपूर्वक बताया कि बताया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकार किस तरह से मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने की व्यवस्था करता है। अनुसूचित जाति एवं जनजाति के सदस्यों का अवैध व्यापार के जाने से पीड़ित व्यक्ति। स्त्री एवं बच्चे, मानसिक एवं अन्य रूप से लाचार व्यक्ति, सामूहिक आपका जातीय हिंसा पर विशेष पर अत्याचार, बाढ़ भूकंप अकाल अथवा औद्योगिक आपदा से पीड़ित व्यक्ति, एक औद्योगिक कामगार, सुरक्षा गृह में किशोर अपराधी के साथ हुआ अपराधी जो केस के विचारण के दरमियान विचाराधीन है, कोई भी व्यक्ति जिनकी वार्षिक आय डेढ़ लाख रुपए से कम हो।
सभी तरह के दीवानी एवं अपराधिक बाद जैसे संपत्ति विवाद वैवाहिक विवाद श्रम एवं सेवा कानून के मामले बहादुर घटना के मामले तथा हिरासत के संबंधित मामले के लिए सहायता प्रदान की जा सकती है।
महिला हेल्पलाइन के पदाधिकारी आरती कुमारी ने बताया कि अभिभावक अपने बच्चों का खासतौर पर ध्यान रखें। घर को जोड़ने में विश्वास रखें, अपने घर परिवार को साथ देकर शशक्त महिला होने का प्रमाण दें।
इस अवसर पर महिला थाना प्रभारी भी मौजूद थीं उन्होंने महिलाओं के कानूनी अधिकार और रोजमर्रा के जिंदगी में होनेवाले यौन हिंसा, दहेज उत्पीड़न, एसिड अटैक, बाल विवाह जैसे महिलाओं के परेशानियां पर चुप रहने के बजाय तत्काल नजदीकी थाना या महिला हेल्पलाइन से सम्पर्क करने का सुझाव दिया।
विधिक सेवा प्राधिकार ने उपकारा शेरघाटी जेल में कैदियों के अधिकार के प्रति किया जागरूक
आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के उपलक्ष्य मे जिला विधिक सेवा प्राधिकार, गया सचिव श्रीमती अंजू सिंह के निर्देशन में आज उपकारा शेरघाटी में कैदियों के कानूनी अधिकार विषय पर पैनल अधिवक्ता शमशाद खान के नेतृत्व में विधिक जागरूकता शिविर सह लीगल ऐड क्लीनिक का संचालन किया गया। इस मौके पर पैनल अधिवक्ता ने बताया कि कानून के तहत किसी भी कैदी को उसके मौलिक अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता है. कानून किसी कैदी के साथ दुर्व्यवहार या अमानवीय व्यवहार करने या फिर क्रूरता बरतने की इजाजत नहीं देता है. जेल में बंद कैदियों को शुद्ध पानी, पौष्टिक खाना, रोजगार और मेडिकल सुविधाएं पाने का मौलिक अधिकार है। इस मौके पर जेल सुपरिटेंडेंट ने जेल मैन्युअल के बारे में कैदियों को विस्तारपूर्वक बताया। साथ ही कैदियों का अधिकार के साथ उनके कर्तव्य से परिचित कराया।
पैन इंडिया आउटरीच प्रोग्राम के तहत आज बेलागंज प्रखंड के श्रीपुर पंचायत के बरैनी
गांव में सूचना का अधिकार और नागरिकों के मौलिक कर्तव्य विषय पर पैनल अधिवक्ता राजेश आनन्द और पारा विधिक स्वयंसेवक मनोज कुमार के नेतृत्व में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। पैनल अधिवक्ता ने बताया कि सूचना का अधिकार अधिनियम का मूल उद्देश्य नागरिकों को सशक्त बनाने, सरकार के कार्य में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को बढ़ावा देना, भ्रष्टाचार को नियंत्रित करना और वास्तविक अर्थों में हमारे लोकतंत्र को लोगों के लिए कामयाब बनाना है। यह स्पष्ट हें कि एक जानकार नागरिक प्रशासन के साधनों पर आवश्यक सतर्कता बनाए रखने के लिए बेहतर सक्षम है और सरकार को अधिक जवाबदेह बनाता है। यह कानून नागरिकों को सरकार की गतिविधियों के बारे में जानकारी देने के लिए एक बड़ा कदम है। साथ ही नागरिकों के 11 मौलिक कर्तव्य के बारे में विस्तारपूर्वक बताया।
डोर टू डोर कार्यक्रम के तहत आज पंचायत के चार गांव बरैनी, बिहा बाजार, प्रेम बीघा, सिमरा
में विधिक जागरूकता का प्रसार किया गया। पम्पलेट बांटकर, ऑडियो, वीडियो दिखाकर प्राधिकार के क्रियाकलापों से अवगत कराया और लोगों को निःशुल्क विधिक सहायता प्राप्त करने के लिये प्रेरित किया।
इसी के दरम्यान आंगनवाड़ी सेविकाएँ और आशा कार्यकर्ताओं ने 2000 से ज्यादा गांवों में जाकर डोर टू डोर विधिक जागरूकता किया, साथ ही 11 दिसम्बर को लगने वाले राष्ट्रीय लोक अदालत के बारे में जन जन को अवगत कराया।
जिला विधिक सेवा प्राधिकार, गया के बैनर तले नगर निगम मोबाइल वैन द्वारा शहरी क्षेत्र काशी नाथ मोड़ से जीबी रोड, किरानी घाट, मोफसील मोड़, कुम्हार टोली, बुनियादगंज, खनजाहापुर, मेहता पेट्रोल पंप, भुसुंडा मोड़, बाईपास, घुँघडी ताड से मंगलागौरी, गेबलबिगहा में सघन प्रचार प्रसार कर लोगों को जागरूक किया गया।