लोहार जनजाति ने दशरथ मांझी को बनाया माऊंटेनमैन
The blacksmith tribe made Dashrath Manjhi a mountainman
अक्षरजीवी: अशोक कुमार अंज
विश्व रिकार्डधारी Hammerman शिवू मिस्त्री |
लक्ष्य साधना में अर्जून की तरह माहिर कर्मयोगीं Karmveer Hammerman हैमरमैन शिवू मिस्त्री और माउंटेनमैन दशरथ मांझी का नाम विश्व के सुर्खियों में है। World Records HammerMan Shivu Mistry हैमरमैन शिवू मिस्त्री कर्मठता के अद्भूत नमूना हैं। World Records HammerMan Shivu Mistry वैसे कठोर श्रमसाधक समाजसेवी शिवू मिस्त्री का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्जा हुआ। जिससे देश का नाम उंचा हुआ। जाहिर हो हथौड़ा पुरूष शिवू के दिये छेनी- हथौड़ा से हीं दशरथ मांझी ने पहाड़ काट कर रास्ता बनाया। इस कार्य में हथौड़ा पुरूष शिवू का अहम योगदान रहा। हैमरमैन श्री मिस्त्री ने 22 वर्षों तक निःशुल्क छेनी- हथौड़ा दिया, पहाड़ तोड़ कर रास्ता बनाने के लिए।
The name of the blacksmith tribe Shivu Mistry was recorded in the World Book of Records
लोहार जनजाति शिवू मिस्त्री का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज
ऐसे ही अथक साधक, लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध कर्मयोगी-ं Karmveer Hammerman हैमरमैन शिवू मिरूत्री। कर्मवीर हैमरमैन Hammer Man अनोखा इतिहास रचे। जो अतुलनीय है। Karmveer Hammerman हथौड़ा पुरूष शिवू मिस्त्री ने ऐतिहासिक कार्य किया। उक्त महापुरूष ने जीवन की दैनन्दिन जरूरतों से जूझते हुए, अभावों से लड़ते हुए खाता- कमाता साधारण व्यक्ति अचानक एक प्रतिबद्ध समाजसेवी बन जाता है। और फिर कठोर कर्म के बल पर शिवू मिस्त्री ने World Records Hammer Man Shivu Mistry वर्ल्ड रिकार्ड्स हैमरमैन की दर्जा हासिल कर लेते हैं। वहीं मजदूर दशरथ अपने कर्म से प्रतिष्ठित दशरथ दास माउंटेनमैन बन जाता है।
विश्व की शान, लोहार जनजाति के कर्मवीर शिवू मिस्त्री
Pride of the world, Karmaveer Shivu Mistry of Lohar tribe
इंडिया : वर्ल्ड की शान ! वर्ल्ड रिकार्ड्स हैमरमैन शिवू मिस्त्री |
पहाड़ तोड़ कर रास्ता बनाने में Hathaura Purush हथौड़ा पुरूष शिवू मिस्त्री का बहुत बड़ा योगदान रहा। अगर Hathaura- Purush हथौड़ा पुरूष श्री मिस्त्री ने गरीब मजदूर दशरथ को निःशुल्क Chheni- Hathaura छेनी- हथौड़ा नहीं देता तो शायद, पहाड़ काट कर रास्ता नहीं बनता। इस कार्य में Hammerman के छेनी- हथौड़े का बहुत विशाल भूमिका रहा। लोहार के हथौड़े के वगैर यह पुनीत कार्य असंभव नहीं था।
लोहार जनजाति कर्मवीर शिवू मिस्त्री का हथौड़ा बना आदर्श
The hammer of the blacksmith tribe Karmaveer Shivu Mistry became the model
वर्षों के तप और मेहनत की फल है पहाड़ के बीचोबीच से निकला हुआ रास्ता। जो कभी विश्वास नहीं होता था, आज वह सुगम रास्ता सामने है, और सुखदायी है हीं, लाभकारी भी, हितकारी भी। इस रास्ते से तीन प्रखंड क्रमशः वजीरगंज, मोहड़ा तथा अतरी प्रखंड के लोग लाभांवित हैं। वहीं दो विधानसभा क्षेत्र क्रमशः वजीरगंज और अतरी के लोकबाग सहजता के साथ आवाजाही के लाभ ले रहे हैं।
लोहार शिवू के हथौड़े से टूटा पहाड़
The mountain broke due to the hammer of Shivu the blacksmith
माउंटेनमैन का यादगार लव-वे! आमजनों की सुगम राह |
लोहार जनजाति श्री शिवू मिस्त्री ने मजदूर दशरथ मांझी को हौसला दिया पहाड़ तोड़ने के लिए। इतना हीं नहीं Hammer Man हथौड़ा पुरूष hathaura purush ने उसे फ्री छेनी- हथौड़ा दिया, पहाड़ का सिना चीर का रास्ता बनाने के लिए। क्योंकि वह पर्वत दशरथ मांझी के पत्नी का कातिल था। उसी गेहलौर पर्वत से दशरथ की पत्नी फिसल कर गिरी और घायल हुई थी। पत्नी की उस कातिल पहाड़ को काट कर रास्ता बनाने के लिए दशरथ तो जरूर ठाना था। परंतु उस गरीब मजदूर के पास ना धन- ना दौलत कुछ भी नहीं था। परंतु उस विषम वेला में हथौड़ा पुरूष शिवू मिस्त्री ने उसे भरपूर साथ दिया हीं मुफ्त में 22 वर्ष तक पहाड़ काट कर राह बनाने के लिए छेनी- हथौड़ा भी दिया। जिसके दम पर कठोर पहाड़ टूटा और आमजनों के लिए सुगम मार्ग बना। जो इतिहास के पन्नों पर स्वर्णाक्षरों में अंकित है। यह अकल्पनीय कार्य लोहार जनजाति के कर्मवीर शिवू मिस्त्री के हथौड़े के बल पर हुआ। जो ऐतिहासिक है हीं, अनूठा भी। पर्वत पुरूष दशरथ मांझी निर्मित वह प्रेमपथ दर्शनीय बना हुआ है। जिसका दीदार करने देशी- विदेशी पर्यटक बराबर आते- जाते रहते हैं।
दशरथ ने शिवू लोहार के हथौड़े को सलामी दी
Dashrath saluted the hammer of Shivu Lohar
Hammerman India ! हैमरमैन शिवू मिस्त्री बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज |
विदित हो Karmveer Hammerman हथौड़ा पुरूष शिवू मिस्त्री, अनुसूचित जनजाति से आते हैं। वे विश्वकर्मा परिवार के लोहार समाज से हैं। मूल्तः वे आदिवासी थे। बिहार प्रदेश के गया जिले के वजीरगंज प्रखंड स्थित दखिनगांव बस पड़ाव के नजदीक उनका निवास स्थान है। इस अनोखे सामाजिक कार्य के लिए हैमरमैन शिवू मिस्त्री का नाम बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज हुआ है। World Records HammerMan Shivu Mistry उन्होंने जो अटूट सामाजिकता का परिचय दिया है, उससे देश गौरवांवित है। और बिहार सूबे के गया जिले का मस्तक हिमनग की तरह उंचा हुआ है। सच, शान! शानदार हुआ हीं, जिंदाबाद भी।
History recorded in the World Book of Records
वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ इतिहास
Hammerman हैमरमैन शिवू मिस्त्री अब इस दुनिया में नहीं रहे। पिछले वर्ष- 2021 में उनका निधन हो गया। वे गरीबी झेलते हुए इतिहास रचे। वे पक्के इरादे वाले इंसान थे। टूटते हुए हौसले को हौसला देकर आगे बढ़ाने वाले अनोखे महामानव थे। दशरथ के टूटते हुए हौसले को उन्होंने मजबूत हौसला दिया था हीं, मुफ्त में छेनी- हथौड़ा भी। ताकि हौसला ना टूटे, टूटे तो पहाड़ टूटे। आखिर हुआ भी वही, शिवू के दिए हुए छेनी- हथौड़े से विशाल पहाड़ टूटा। उसी हथौड़े के दम पर पर्वत का सिना टूटा और रास्ता बना।
Shivu created history on the strength of hard work
शिवू ने मेहनत के दम पर रचा इतिहास
जो यादगार प्रेमपथ बना। इसे कहते हैं अटूट सहयोग। जिसे वखूबी चरितार्थ किया Karmveer Hammerman Shivu Mistry हैमरमैन शिवू मिस्त्री। उनका अहम सहयोग और समर्पण प्रेरणादायी है। गया जिले के कर्मवीर दुनिया भर के लिए आदर्श बने।
लोहार शिवू का ऐतिहासिक हथौड़ा प्रेरणादायक
Historical hammer of blacksmith Shivu Inspirational
माउंटेनमैन दशरथ मांझी |
पर्वत पुरूष ने दुर्गम पहाड़ को 22 वर्ष (1960 से 1982) तक छेनी- हथौड़ा से तोड़े थे। उस विषम वक़्त में हथौड़ा पुरूष शिवु मिस्त्री ने दशरथ मांझी को 22 वर्ष तक निःशुल्क छेनी- हथौड़ा दिये, पहाड़ तोड़ने के लिए। मजदूर दशरथ पहाड़ तोड़ता रहा और hathaura purush हथौड़ा पुरूष Shivu Mistry शिवू मिस्त्री ने उन्हें निःशुल्क छेनी- हथौड़ा प्रदान करते रहे। HammerMan हैमर मैन श्री मिस्त्री ने 22 साल तक उन्हें निःशुल्क छेनी- हथौड़ा प्रदान किये पहाड़ का सिना चीर कर रास्ता बनाने के लिए। उन्हीं के दिये Chheni- Hathaura छेनी- हथौड़ा के बल पर दशरथ मांझी ने पहाड़ तोड़ने में कामयाब हुए थे। श्री मिस्त्री के दिये छेनी- हथौड़े के बल पर पर्वत टूटा और गेहलौर पहाड़ के बीचो-बीच से रास्ता निकला। पहाड़ तोड़ने में श्री मिस्त्री के छेनी- हथौड़ा का विशेष योगदान रहा। पर्वत पुरूष दशरथ मांझी के संकल्प और उनके हौसले में World Records HammerMan Shivu Mistry hathaura purush हथौड़ा पुरूष शिवू मिस्त्री का निःशुल्क छेनी- हथौड़ा का योगदान ने जान फूंक दी थी। HammerMan हैमर मैन शिवू का छेनी- हथौड़ा अद्वितीय, अतुल्नीय व अविस्मरणीय है। जो अनोखा, अद्वितीय ऐतिहासिक धरोहर है। श्री मिस्त्री, गया जिले का वजीरगंज प्रखंड के शिव काॅलोनी, दखिनगांव का निवासी हैं। जिसने पक्की दोस्ती का उदाहरण कायम किया है। पर्वत पुरूष दशरथ तथा Karmveer Hammerman shivu mistry हथौड़ा पुरूष शिवू के ऐतिहासिक अटूट दोस्ती स्वर्णाक्षरो में अंकित है। hathaura purush हथौड़ा पुरूष शिवू के ऐतिहासिक छेनी- हथौड़ा को गया संग्रहालय, गया में दर्शनार्थ सुरक्षित- संरक्षित रखा गया है।
मांझी उत्सव में कर्मयोगी शिवू मिस्त्री के ऐतिहासिक हथौड़े को स्मृति चिन्ह बनाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उपहार स्वरूप भेंट किया गया
The historic hammer of Karmayogi Shivu Mistry was made a memento and presented to Chief Minister Nitish Kumar as a gift at the Manjhi festival
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लक्ष्य-प्रतिबद्धता की प्रेरणा का दिया संदेश |
वहीं MountainMan कर्मयोगी दशरथ मांझी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी प्रतिष्ठा देने में कोई कोताही नहीं की। श्री कुमार ने 25 जुलाई, 06 को मुख्यमंत्री आवास में आयोजित ‘जनता के दरबार में मुख्यमंत्री’ कार्यक्रम के दौरान उन्हें अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाकर सम्मानित किया। मानो, मुख्यमंत्री लक्ष्य-प्रतिबद्धता की प्रेरणा का संदेश पूरे प्रदेश को दे रहे हों।
वर्ष 1960 की एक छोटी घटना ने अकिंचन मजदूर दशरथ को विराट स्वरूप लेने की प्रेरणा दी। घटनाक्रम कुछ ऐसा है कि दशरथ गेहलौर पहाड़ी को पार कर एक खेत में काम करता था और उसकी पत्नी फगुनी उसके लिए भोजन-पानी लेकर प्रतिदिन आती थी। ऐसे ही दिनचर्या-क्रम में एक दिन पत्नी फगुनी संकीर्ण पहाड़ी दर्रे को चिलचिलाती धूप में पार कर आ रही थी। अचानक ठोकर लगी पांव फिसला, फगुनी लड़खड़ा कर गिर गई। एक तरफ जीवन संगनी पत्नी फगुनी के जीवन अस्त तो दूसरी तरफ जीवन संगी अर्थात मजदूर दशरथ के विराट प्रेमी स्वरूप का उदय होता है। शाहजहां का मुमताज के प्रति अमर-प्रेम का प्रतीक ‘ताजमहल’ यदि विश्व स्तर पर दर्शनीय है तो दशरथ का फगुनी के प्रति प्रेम का अमर प्रतीक है – गेहलौर पहाड़ी के डेढ़ फीट के संकीर्ण पहाड़ी दर्रे में 30 फीट चैड़ा मार्ग का निर्माण, जो अकल्पनीय है।
गया के गया संग्रहालय में रखा गया है शिवू मिस्त्री का ऐतिहासिक हथौड़ा
Shivu Mistry’s historical hammer is kept in the Gaya Museum in Gaya
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिया मान- सम्मान |
दशरथ का फगुनी के प्रति प्रेम का अमर प्रतीक है- गेहलौर घाटी। वह मार्ग विशुद्ध सात्विक प्रेम की साधना का प्रतिफल है। पत्नी फगुनी की चोटिल पहाड़ी के कठोर सीने पर मात्र छेनी- हथौड़ा के सहारे 22 वर्षों तक निरंतर प्रहार करते हुए दशरथ मांझी ने अद्भुत गाथा रच डाली, प्रेम का जीवंत प्रतिमान यह पथ आमजन के लिए राहत और सुकून का पैगाम लेकर आया। बुलंद इरादे, प्रबल इच्छाशक्ति, अदम्य साहस, तथा प्रेम एवं लगनशीलता की पराकाष्ठा का अद्भूत परिचय दिया दशरथ मांझी ने अपनी इस रचनात्मकता से। आज यह गेहलौर मार्ग वजीरगंज, मोहड़ा एवं अतरी प्रखंड अर्थात तीन प्रखंडों को जोड़ने से आमजन हेतु सुगम मार्ग बन गया है। दुर्गम पहाड़ी दर्रे से जाने वाला घुमावदार संकरा पथ अब चौड़ा सुगम सीधा मार्ग बन गया है, जिसने मीलों दूरी को कम कर दिया है। ऐसे कर्म प्रबण दशरथ को MountainMan पर्वत पुरूष तथा पहाड़ी आदमी की संज्ञा से विभूषित किया गया। नाटे कद के दशरथ जब पहाड़ काटने की कठोर साधना में रत थे, तब लोग उन्हें पागल और सनकी कहा करते थे। लेकिन इस सबसे बेपरवाह संत स्वभावी दशरथ मांझी अपनी साधना में लगे रहे।
शिवू मिस्त्री के दिए हथौड़े से दशरथ मांझी ने पहाड़ तोड़ दिया और रास्ता बना लिया
With the hammer given by Shivu Mistry, Dashrath Manjhi broke the mountain and made a way
पर्वतपुरुष का प्रेमपथ गेहलौर घाटी |
अपनी दृढ़ संकल्प शक्ति का एक अन्य उदाहरण है दिल्ली की पैदल यात्रा। वाकया यह है कि उन्हें किसी ने कह दिया कि ‘दिल्ली दूर है’। उन्होंने आव देखा न ताव – पाव भर सतु की पोटली बांधा और चल दिए – दिल्ली। फाल्गुन प्रथम दिवस 1972 का गया-किऊल रेल खंड के बीच स्थित वजीरगंज रेलवे स्टेशन से रेलवे पटरी के किनारे-किनारे पैदल चलकर मात्र दो माह में चैत पूर्णिमा 1972 की तिथि को दिल्ली पहुंचा। पहुंचकर उन्होंने सफलतापूर्वक कहा कि – यही दिल्ली दूर हैै। अपनी पैदल यात्रा के प्रमाण स्वरूप प्रत्येक स्टेशन मास्टर से हस्ताक्षर कराते आगे बढ़ते थे – दशरथ।
माउंटेन मैन और हैमर मैन की अद्भुत दोस्ती
The amazing friendship of the Mountain Man and the Hammer Man
धुन के पक्के दशरथ अपनी कार्य साधना के दौरान कभी बीमार भी पड़ते थे तो हिम्मत नहीं हारते थे। पहाड़ी तोड़ने के क्रम में कभी तबीयत खराब हुई तो पहाड़ी ‘धनोतर’ पौधा को चटनी जैसा पीस कर पी जाते थे। तबीयत ठीक, शरीर चंगा और पुनः कार्य-साधना शुरू। बुखार, सर्दी और खांसी को ठीक करने की दूसरी दवा दशरथ के पास था – मसालेदार चाय। इतिहास पुरूष दशरथ के साहस, एवं कर्म प्रबलता की गाथा सरकारी पाठ्य-पुस्तक में शामिल हो, सरकार इस कार्य के लिए तत्पर है। दशरथ कहा करते थे कि वजीरगंज हाट में बकरी बेच कर विश्वकर्मा की दुकान से छेनी-हथौड़ा खरीदी थी। उन्होंने विश्वकर्मा का ध्यान लगा छेनी-हथौड़ा से गेहलौर पहाड़ तोड़ने में जुट गया था। उस वरदानीय ताकत से विशाल पहाड़ राई के समान टूटा और दशरथ मांझी अमर हुए। जो एकदम अनूठा प्रेम पथ मार्ग हैै। इसी लिए दशरथ देश-विदेेश में चर्चित व प्रसिद्ध हुए। इसी अद्वितीय कार्य हेतु दशरथ का नाम वर्ष 1999 में लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज हुआ।
कर्मवीर शिवू के हथौड़े से दशरथ ने रचा इतिहास
Dashrath created history with the hammer of Karmaveer Shivu
अक्षरजीवी- फिल्मस्टार फ़िल्मी पत्रकारबाबू अशोक कुमार अंज |
वह नित्य दिन पहाड़ के कठोर चट्टानों से टकराता रहा। लक्ष्य एक हीं था पहाड़ को तोड़ना। दशरथ ने ये सिद्ध कर दिखाया कि अटूट प्रेम से बढ़कर संसार में कुछ नहीं। महामना दशरथ की यह कृति महान, एकलौता एवं अतुलनीय है। उन्होंने पहाड़ तोड़ने का काम 31 वर्ष की आयु में आरम्भ किया था। श्री मांझी अपनी जवानी और जीवन गेहलौर पहाड़ तोड़ने में लगा दी। वे हंसोड़ व खुशमिजाज भी थे। श्री मांझी ता जिंदगी आर्थिक तंगी से जूझता रहा। दशरथ संत स्वभाव का था। वह कबीर पंथी धर्म का अनुयायी था। आज पहाड़ी प्रेम स्मारक गेहलौर घाटी चिरस्मरणीय बना है। वह ऐतिहासिक प्रेम मार्ग है। दशरथ अनपढ़ जरूर था परंतु कर्म का धनी पुरूष था। वह गुद्ड़ी का लाल था। कर्मयोगी दशरथ के पिता स्वर्गीय मंगरू मांझी और माता स्वर्गीया पचिया देवी थे।
दशरथ का असामयिक निधन |
आज हैमरमैन शिवू मिस्त्री और माउंटेनमैन दशरथ मांझी हमारे बीच नहीं हैं। लेकिन उनकी अद्भुत कृति जीवंत है। दशरथ निर्मित प्रेम पथ गेहलौर घाटी असंभव कार्य को भी संभव करने की प्रेरणा देती है। वहां निर्मित सड़क और अस्पताल का नामकरण दशरथ मांझी के नाम पर हुआ। दशरथ का प्रेम स्मारक गेहलौर घाटी दर्शनीय व ऐतिहासिक बना है। अटूट प्रेम का वह अमर प्रेम स्मारक है। जो कठोर कर्म का द्योतक है।
गया जिले के मोहड़ा प्रखंड स्थित गेहलौर ग्राम में 14 जनवरी, 1929 को जन्मे दशरथ मांझी का लिवर कैंसर के कारण 17 अगस्त, 2007 को दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्वेदिक संस्थान में असामयिक निधन हो गया।
वर्ल्ड रिकार्ड्स जर्नलिस्ट अशोक कुमार अंज |
अक्षरजीवी,
अशोक कुमार अंज
वर्ल्ड रिकार्ड्स जर्नलिस्ट
(फिल्मी पत्रकारबाबू)
आकाशवाणी- दूरदर्शन से अनुमोदित साहित्यकार व पत्रकार
सम्पर्क: वजीरगंज, गया- 805131, बिहार, इंडिया
-खास प्रस्तुति: अंज न्यूज मीडिया
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