Bihar News: सूबे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी हाल ही में अपने कई बयानों से सुर्खियां बटोर रहे हैं।
यहां कुछ नवीनतम है:
Bihar Politics: 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे पर: मांझी ने कहा है कि अगर महागठबंधन में अन्य दल उन्हें राज्य में सीटों का बड़ा हिस्सा देने पर सहमत होते हैं तो वह बिहार की सभी पांच लोकसभा सीटों पर अपनी पार्टी का दावा छोड़ने को तैयार हैं।
उन्होंने यह भी कहा है कि वह 2024 के चुनावों में एक गैर-कांग्रेस, गैर-भाजपा प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार का समर्थन करने को तैयार हैं।
नीतीश कुमार के साथ अपने रिश्ते पर: मांझी ने कहा नीतीश कुमार ने उनके साथ जिस तरह का व्यवहार किया है, उससे वह खुश नहीं हैं। उन्होंने कुमार पर उनकी पार्टी को सरकार में पर्याप्त महत्व नहीं देने और गठबंधन बनाते समय उनसे किए गए वादों को पूरा नहीं करने का आरोप लगाया है।
जाति के मुद्दे पर: मांझी ने कहा है कि वह जाति व्यवस्था के विरोधी हैं और उनका मानना है कि यह बिहार में विकास में एक बड़ी बाधा है।
मांझी के बयान पर मिली-जुली प्रतिक्रिया आ रही है। कुछ लोगों ने जातिगत भेदभाव के खिलाफ बोलने और यथास्थिति को चुनौती देने की उनकी इच्छा के लिए उनकी प्रशंसा की है। अन्य लोगों ने अत्यधिक विभाजनकारी होने और बिहार में एकता को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं करने के लिए उनकी आलोचना की है।
देखना यह होगा कि मांझी के बयान का बिहार की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा। हालाँकि, इसमें कोई संदेह नहीं है कि वह एक ताकतवर शख्स हैं और आने वाले महीनों और वर्षों में उनके सुर्खियों में बने रहने की संभावना है।
Latest News: जाहिर हो मांझी फिर अपना पाला बदल लिया है। महागठबंधन को छोड़ कर पुनः भाजपा में मिल गया है। मांझी, अब अपने बेटे के लिए राजनीति कर रहे हैं। बेटे की राजनीति चमकाने के लिए भाजपाई नेता सह गृहमंत्री अमित शाह से भेंट किया है। ताकि उनका बेटा लोकसभा चुनाव 2024 के मैदान में उतर सके। उनका लक्ष्य यही है।
दांव पर लगी है उनकी राजनीति। देखना यह है कि आनन-फानन की राजनीति में उनके बेटे के लिए अमित शाह क्या रणनीति बनाते हैं।
वैसे भी मांझी, दूसरों की कृपा पर राजनीति चमकाते रहे हैं। जिस नीतीश कुमार ने मांझी को अपनी सत्ता की सिंहासन तक दे दिया। मांझी उसे भी ठुकरा कर भाजपा में शामिल हो गया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उसे मुख्यमंत्री पद का ताज भी दिया ! उसे भी वह समझ नहीं पाया। उसके बेटे को मंत्री पद तक दिया।
जबकि उनके बेटे में वैसी काबिलियत नहीं थी, और आज भी नहीं है। वह जो कुछ भी है मांझी के बदौलत ही है।
अब वह आगामी लोकसभा में भाग्य आजमाने के लिए तत्पर है। उसके अंदर इतनी आनन-फानन है कि बेटे को मंत्री पद से इस्तीफा तक दिलवा दिया और भाजपा में जा मिला।
शायद, अब उनकी उलटी गिनती शुरू हो गई है।
इलाके में और मांझी समाज में उनकी बहुत पकड़ नहीं है। वो किसी की कृपा पर ही चमक रहे हैं। जो जगजाहिर है। मांझी समाज उन्हें अपना नेता तक नहीं मानता। क्योंकि मांझी के नाम पर उसने फिर अपनी राजनीति चमकाई है। यही वजह है कि मांझी समाज में उनके प्रति भारी नाराजगी है।
मांझी की कथनी और करनी में आसमान जमीं का फर्क है। उसे किसी पर भरोसा नहीं। कुर्सी रूपी पद की लालच में उसने पलभर में अपना पला बदल लेता है।