बिहार में बड़े पैमाने पर बीडीओ का तबादला किया गया है। जिसमें पंचायत चुनाव की आहट है। ताकी स्थानीय स्तर पर विधि व्यवस्था प्रभावित ना हो, इसी का ध्यान रखते हुए बीडीओ के तबादला हुए हैं। लोकल स्तर पर यह हेराफेरी जायज़ थी।
क्योंकि इसी के साथ पंचायत आम चुनाव की प्रशासनिक तैयारी शुरू हो चुकी है। त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यकाल पूरा हो चुका है। अब हीं शेष बचा है। कोरोना महामारी के फैलते संक्रमण के वजह से पंचायत चुनाव को सरकार टाल दी थी। कोरोना संक्रमण के थमते हुए दौर में बिहार में पंचायत चुनाव के तैयारी की सरगर्मी की शुरूआत हो चुकी है।
पंचायत प्रतिनिधियों का भी मन- मियाज अब चुनावी हो चुका है। वे भी चुनावी चर्चा में जुटे हैं।
सरकार ने तकरीबन आठ महीने तक चुनाव को टाल दी थी, कोविड के बढ़ते जानलेवा खतरे के कारण।
परंतु अब समय में बदलाव आया है। अनुकूलता आते हीं चुनाव की प्रशासनिक तैयारी जारी हो चुकी है।
चुनाव का विभागीय प्रक्रिया चल रही है। बस, चुनावी बिगुल बजने की तैयारी है। बिहार तैयार हो रहा है पंचायत चुनाव के लिए। क्योंकि कोविड19 के मँडराते हुए भयावह खतरा टल चुका है। पंचायत चुनाव की चर्चा गाँव- गलियों में ज़ोर पकड़ने लगी है।
क्योंकि डीएम भी अब चुनावी तैयारी की सुगबुगाहट में हैं। चुनावी तैयारी की समीक्षा में जुटे हैं डीएम एवं एसएसपी।
विधि व्यवस्था की पूरी गंभीरता से समीक्षा की जा रही है। चुनावी आहट है।
Very good report