PM Modi – कर्मवीर की राजगद्दी
कहानी : अशोक कुमार अंज
PM Modi : आत्मबल का धनी अकिंचन चायवाले ने चाय बेचकर दैनिंदनी जरूरतों से जूझते आगे बढ़ा। तब एक- एक दिन पहाड़ सा गुजरता था। वैसे में गुदड़ी का लाल कभी स्वप्न में भी नहीं सोचा कि राजगद्दी मिलेगी।
PM Modi Ke Jivan Ki Kahani :
पीएम मोदी की ज़िंदगानी पर आधारित कहानी |
वह राजनैतिक माहौल से कोसों दूर परंतु एक मोड़ आया और चाय सेवक का जीवन नेतागिरी में तब्दील हुआ। फिर साथियों का साथ मिला और जमात बन गई। वही कर्मवीर चाय सेवक, एक दिन देश का प्रधान सेवक हुआ। यह देख, लोग भौंचक रह गए। सत्ता की ताज से गरीबी खिलखिला कर फूल की तरह खिला और भाग्य का सितारा चमका। प्रारंभिक दौर में उसने वडनगर स्टेशन पर तथा आते- जाते रेलगाड़ी के डिब्बों में चाय बेचने का कारोबार किया। लाचारी भरी जिम्मेवारी ऐसी कि हाथ में चाय का केतली थामे चाय बेचता फिरा, कर्मवीर बालक। विद्यालय से स्टेशन और स्टेशन से विद्यालय, छात्र जीवन और चाय धंधा दोनों साथ- साथ चला। गर्दीश भरा बालपन, चायवाले के रूप में गुजरा।
चायसेवक स्टेशन पर आवाज लगाता- चाय लो, चाय। गरमा- गरम चाय।
चायप्रेमी बोला- ओ चायवाले, जरा इधर भी चाय लाना।
स्टेशन पर चायसेवक आवाज देता- चाय लो जी, चाय। गरम चाय… गरमा- गरम।
चायप्रेमी बोला- जरा, एक चाय इधर भी लाना। चाय गर्म है ना।
चायसेवक बोला- बिल्कुल गरमा-गर्म। ये रही आपकी चाय। चाय लो, आ गयी चाय।
काम-धंधे के बाद वह घर जाता और मां से भोजन मांगता।
चायसेवक बोला- मां, जोरों की भूख लगी। भोजन परोसना।
मां बोली- अच्छा, अभी भोजन परोसती। भोजन रूखा-सूखा, दाल- सब्जी कुछ भी नहीं।
चायसेवक बोला- जो कुछ भी हो, चलेगा। पेट तो भर जायेगा ना।
मां बोली- ना जाने! कब आएगा, हमारे अच्छे दिन।
उसने मां को भरोसा देते बोला- घबराओ नहीं, मां। ये रखो, कुछ मुद्रा। मैं चला, चाय बेचने। चाय हीं, मेरा सहारा और आगे का रास्ता भी।
पीएम की साहसिक-प्रेरणाप्रद कहानी |
वैसे में हीं अच्छे दिन की सुगबुगाहट हुई। चाय बेचते- बेचते, वह बाल स्वयंसेवक बन गया। थोड़ा समय सामाजिक कार्य में देते- देते, वहीं रम गया। साहसी बाल सेवक, संघ की सेवा में भीड़ गया। चाय, भोजन बनाने, परोसने से लेकर झाड़ू- पोछा, साफ- सफाई सब उसी के जिम्मे। उसे काम प्रिय था, वह कभी काम से जी चुराता नहीं। बल्कि, काम से ही उसे ताकत मिलती थी। उसका आत्मबल बड़ा मजबूत। वडनगर से अहमदाबाद के हेडगेवार भवन तक, वह चायसेवक रहा। बेफिक्र! वह सबों की सेवा करता था।
वह बचपन से हीं हिम्मती व धैर्यवान था। उसने एक दिन तालाब में स्नान करने गया और तालाब से मगरमच्छ के बच्चे को पकड़ लाया। फिर एकाएक उसका मन घुमा और संन्यासी का रूप धारण कर, उसने कांधे में थैला टांगा, चादर ली और निकल गया आध्यात्म की खोज में हिमालय। हिमनग की गोद में उगे हुए फल-फूल खाकर तपस्वी जीवन बीताया। परंतु उसके संयासी रूप से मां घबरा गई, बहन सहम गई और परिवार परेशान हो गया। अच्छे दिन का उदय होते हीं, चाय बेचने का सिलसिला अस्त हुआ। खुल कर राजनैतिक जीवन उभरा। उसकी सक्रियता व्यापक रूप लिया और वह रणनीति में माहिर हो गया। वह जो ठान लेता, वही करता। राजनीति में उतरा और उसने कमाल कर दिखाया।
प्रारंभिक दौर में ग्रामीणजन बोले- क्या बात है भाई! कुर्ता- बंडी झारे हो, चाय सेवा ठप।
चायसेवक पुलकित हो बोला- देखो, अब हम नेता बन गए। तन पर सफेद कुर्ता, जो ईमानदारी व जिम्मेवारी का प्रतीक।
ग्रामीणजन बोले- जय हो नेताजी! चुनाव लड़ो और जीतो।
चायसेवक बोला- जनता मालिक की कृपा हो, तो बात जमे।
ग्रामीणजन बोले- राजनीति आसान नहीं, भाई।
चायसेवक बोला- यह प्रारंभिक दौर, आगे आप सब की मर्जी।
ग्रामीणजन मजाक के लहजे में बोले- उभरते हुए जमीनी नेता को प्रणाम। गरीबों की मजबूत आवाज बनोगे, बहुत खूब। चायवाले भैया जिंदाबाद।
चायसेवक बोला- चाय छूटी ! तन पर चढ़ा कुर्ता। अरी ! किस्मत, जरा हो मेहरबान।
ग्रामीणजन सलाह देते- राजनीति के चक्कर में मत पड़ो। कितनों का कुर्ता चेत्थरा उड़ गया परंतु बर्बादी के सिवा, कुछ हासिल ना कर सका। ना इतना इतराओ, ना माथा खपाओ।
चायसेवक बोला- जनप्रतिनिधि तो आपहीं लोग बनाएगें।
ग्रामीणजन बोला- सब दिग्गजों का चलता, गरीबों का नहीं। वैसे भरोसा रखो, इरादा पर डटे रहो।
चायसेवक बोला- चाय तो बहुत बेची, अब थोड़ी राजनीति भी।
उस दौर में किसी ने उसका हौसला अफ़जाई किया तो किसी ने मजाक भी उड़ाया। फिर भी उसके उभार में धार दिखा और उभरते- उभरते लोकप्रिय बना।
उसने मतदाताओं से जनसंपर्क करते हुए- उम्मीदवार हूं मैं। हमें जीताइये। गरीब को भी मौका दीजिए! यही गुजारिश।
लोग फुस्फुसाता- आखिर, किस्मत आजमाने मैदान में उतर ही गया। लगता, आदमी बड़ा हिम्मती।
चायसेवक बोला- हमें भी एक अवसर दें, यही आरजू- विनती।
लोग फुस्फुसाते- उम्मीदवार बहुत हीं दमदार और सुयोग्य भी।
समर्थक बोला- शायद! बाजीमार ले, हवा ऐसी।
लोग फुस्फुसाते- प्रत्याशी गरीब परंतु कर्मठ। अबकी बार, चायवाले।
उसने विधानसभा चुनाव लड़ा, विजय हुआ और गरीब का बेटा विधायक बना।
लोग तारीफ करते हुए- अरे! चायवाले भैया तो विधायक बन गया। उस पर हमें नाज। बहुत मुसीबतों का सामना किया, बेचारा। सेवा का प्रतिफल, यह जीत। अब तो उसकी किस्मत खुल गई, बले-बले।
चायप्रेमी ने बाजूवाले दुकानदार से पूछा- चायवाले की दुकान बंद क्यों है, भाई।
बाजूवाला दुकानदार बोला- चायवाले भैया, अब विधायक बन गए। वे यहां नहीं, विधानसभा में मिलेगें।
चायप्रेमी बोला- चाय सेवक ने तो कमाल कर दिखाया। उसने चाय बेच कर हम सबों की सेवा की ही, अब विधायक बन क्षेत्र का भी। वह और भी तरक्की करे, यही कामना।
उसने प्रदेश में राजधर्म अपना कर रणनीति को नीति से पिरोया। फिर उसने लोक सभा का चुनाव लड़ा और जीता तथा सांसद भी बना। तब जाकर अद्भुत ऐतिहासिक सफलता, दिल्ली के सिंहासन पर चमक उठा। बड़े नसीब से उसे राजगद्दी मिली। होनहार सपूत ने मां- पिता के स्वप्न को साकार किया। उसे देश की सेवा का अवसर प्राप्त हुआ। जो शानदार हीं नहीं, जानदार भी। जीत की ऐतिहासिक क्षण से मां- बेटे का रोम-रोम पुलकित हो उठा। बेटा को प्रधानमंत्री बने देख, मां फूले नहीं समाती। बेटा को बारंबार लाड़- दुलार करती, अघाती नहीं।
मां ने कहा- धन्य- धन्य हो गए हम। जीवन सफल हो गया। युग-युग जीओ, मेरे लाल।
सौभाग्यशाली मां ने बेटे को साधारण चायसेवक से विधायक बनते देखी हीं, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के रूप मेें भी। ऐसा विराट अवसर बहुत संयोग से मिलता। जो असंभव था, वह भी संभव हुआ। समय करवट लिया, भाग्य पत्ते की आड़ से निकला।
ईश्वर दिये तो छप्पर फाड़ कर। निर्धनता, दौलत- शोहरत से भर गया। उसने निश्चय पर चला, ना कभी थका, ना हारा, अनवरत लक्ष्य साधना पर अडिग रहा।
ऐसे, उस गरीब को बड़ा पद हासिल हुआ। वह गरीबों का मसीहा बना। कर्म फल से छलांग मारता हौसला और भी बुलंद हुआ।
कठोर कर्म से सिंहासन रूपी रत्न निकला और उसकी बांछे खिल उठी। हौसला, विश्वास और दृढ़-संकल्प के आगे रोड़े भी नतमस्तक होता और मंजिल मिल जाती।
उसने गरीबी से उठ कर इतिहास रचा। जो अद्वितीय है हीं, काबिले तारीफ भी। पूर्ण बहुमत से सत्ता मिली और गरीब का बेटा प्रधानमंत्री बना।
Ashok Kumar Anj World Record Journalist Writer CEO of AnjNewsMedia |
आकाशवाणी पटना के पराग कार्यक्रम में 31 दिसंवर 2017 को प्रसारित कहानी, इस साहसिक- प्रेरणाप्रद कहानी आप सुन सकते हैं, नीचे दिए हुए ब्लू लिंक पर क्लिक कर के :-
Life story of PM Modi By Writer-Journalist Ashok Kumar Anj, On AIR, Patna
कहानीकार,
अशोक कुमार अंज
वर्ल्ड रिकार्ड जर्नलिस्ट
(फ़िल्मी पत्रकारबाबू)
आकाशवाणी- दूरदर्शन से अनुमोदित साहित्यकार व पत्रकार
वजीरगंज, गया- 805131, बिहार
– प्रस्तुति : अंज न्यूज़ मीडिया – Presentation :- Anj News Media