SledgeHammer | {कर्मयोगी हथौड़ा पुरूष} | (Inspirational Story of Hammer Man Shivu Mistry) | [Exclusive]- Anj News Media

  

हथौड़ा पुरुष शिवू – Hammer Man Shivu

 लोहार का अद्भुत छेनी- हथौड़ा प्रेरणाप्रद 

लेखक: अशोक कुमार अंज

SledgeHammer | {कर्मयोगी हथौड़ा पुरूष} | (Inspirational Story of Hammer Man Shibu Mistry)- Anj News Media
लक्ष्य साधना में अर्जून की तरह माहिर शिवू मिस्त्री

कर्मयोगी Hammer Man शिवू मिस्त्री का साधना किसी Yoga से कम नहीं था। SledgeHammer के लोहारगिरी में योग का गुण समाहित था। जिससे उन्हें ताकत मिलती थी। 

तपता हुआ आग के समक्ष लोहारगिरी करना कोई मामूली बात नहीं। जहाँ हथौड़ा चलता, वहां प्रभु विश्वकर्मा विराजमान होते। 

ज्ञात हो हथौड़ा पुरूष का तरीका किसी Yoga से कम नहीं था। सच, हथौड़ा चलाना बड़ा योग है। वहाँ सत्वगुण समाहित होता है। जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। जिससे तन- मन ऊर्जांवित होता है। शरीर ताकतवर बन जाता है। वह शरीर गठिला होता ही, तंदुरुस्त भी। 

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वे हमेशा अपनी साधना में रत रहते थे। छेनी और हथौड़ा फ्री में बना कर देना, कोई मामूली संकल्प नहीं था। उनका संकल्प पर्वत से भी कठोर और विशाल था। जो बहुत बड़ी उपलब्धि लेकर दुनिया के सामने प्रस्तुत हुआ। जिससे दुनिया चकाचौंध हो गई। सच, वह विश्वकर्मा की ताकत थी। जिसने छेनी- हथौड़े को गढ़ कर दशरथ मांझी को मुफ्त में दिया। जिससे दशरथ मांझी की साधना सधी। विश्वकर्मा के सहयोग के वगैर वह कार्य साकार, संभव होना मुश्किल था। जिसे दशरथ मांझी ने स्वीकारा भी और उनकी अतुलनीय भूमिका को सराहा भी।

विश्वकर्मा के छेनी- हथौड़े से दशरथ मांझी को मिली कामयाबी : 

लोहारगिरी क्रिया किसी योग से कम नहीं है। हथौड़ा बनाना, छेनी के धार पर धार तेज करना, बहुत बड़ा योग है। लोहे की गर्म काम करना मुश्किल भरा होता है। जिसे शिवू मिस्त्री ने सहज तरीके से किया। और यह भी दर्शाया कि लोहारगिरी बिल्कुल योग सा है। वह दशरथ मांझी को ताकत दिया पहाड़ तोड़ने का। छेनी- हथौड़े से दशरथ मांझी की साधना सध गई। मिली चकाचक कामयाबी। विश्वकर्मा शिवू ने कमाल कर दिखाया। 

योग सा कर्मयोगी का हथौड़ा : 

छेनी के मोटे धार को बारीकी से धार तेज करना बड़ा गुण है। और उस पर पानी चढ़ाना अलग गुण है। जो कोई विरले व्यक्ति कर सकता है। वह विशेष गुण उनके ज़ेहन में समाहित था।
लोहे को पीट- पीटकर हथौड़ा बनाना बहुत बड़ा योग है। जो योग से भी ऊपर है। उस क्रिया में सबसे बड़ा योग समाहित है। क्योंकि उसमें दिल- दिमाग सहित तन- मन के साथ ही हाथ- पांव सभी चलते हैं। जो कि योग क्रिया के समानांतर है। महान हथौड़ा पुरूष शिवू मिस्त्री का कठोर कर्म योग सा था। जो नित्य किया करते थे। छेनी पर धार देना मामूली गुण नहीं, बड़ा गुण होता है। क्योंकि उस धार से चकाचक सफलता निकलती है। जिसे सिद्ध कर दिया है हथौड़ा पुरूष शिवू। 
जब विश्वकर्मा का छेनी- हथौड़ा ! योग सा चलता है। तो वह शरीर को ताक़तवर बना देता है। जो योग क्रिया के समानांतर है। लोहार विश्वकर्मा का कर्म कठोर योग सा होता है। उस कर्म के बल पर आदमी बलशाली बन जाता है। वही गुण शिवू मिस्री के पास था। उस गुण को ग्रहण कर  दथरथ माँझी ने बड़ी सफलता हासिल किया। जो जगज़ाहिर है।

मिस्त्री की जबर्दस्त सफलता की कहानी : 

SledgeHammer | {कर्मयोगी हथौड़ा पुरूष} | (Inspirational Story of Hammer Man Shibu Mistry)- Anj News Media
World Records Hammer Man
Shivu Mistry 

महान हथौड़ा पुरूष की Hammer महान है। Hammer की ताकत से पर्वत टूटा और सफलता मिली। हथौड़ा संग महान हथौड़ा पुरूष शिवू मिस्त्री। जब उन्होंने बनाया World Records तो दुनिया उन्हें सलाम किया।

हथौड़ा पुरुष मिस्त्री के छेनी- हथौड़े से मांझी ने विशाल पर्वत को तोड़ा : 

पर्वत पुरूष ने दुर्गम पहाड़ को 22 वर्ष (1960 से 1982) तक हथौड़ा पुरुष के छेनी- हथौड़ा से तोड़े थे। उस विषम वक़्त में हथौड़ा पुरूष शिवू मिस्त्री ने दशरथ मांझी को 22 वर्ष तक निःशुल्क छेनी- हथौड़ा दिये, पहाड़ तोड़ने के लिए। मजदूर दशरथ पहाड़ तोड़ता रहा और हथौड़ा पुरूष शिवू मिस्त्री ने उन्हें निःशुल्क छेनी- हथौड़ा प्रदान करते रहे। हैमर मैन श्री मिस्त्री ने 22 साल तक उन्हें निःशुल्क छेनी- हथौड़ा प्रदान किये पहाड़ का सिना चीर कर रास्ता बनाने के लिए। 

हथौड़ा चलाने वाले शिबू मिस्त्री की प्रेरक कहानी | Inspirational Story of Hammer Man Shivu Mistry : 

SledgeHammer | {कर्मयोगी हथौड़ा पुरूष} | (Inspirational Story of Hammer Man Shibu Mistry)- Anj News Media
शिवू मिस्त्री के दिए हुए हथौड़ा से
पहाड़ तोड़ते हुए दशरथ मांझी
 

कर्मवीर शिवू मिस्त्री के दिये छेनी- हथौड़े के बल पर दशरथ मांझी ने पहाड़ तोड़ने में कामयाब हुए थे। श्री मिस्त्री के दिये छेनी- हथौड़े के बल पर पर्वत टूटा और गेहलौर पहाड़ के बीचो- बीच से रास्ता निकला। पहाड़ तोड़ने में श्री मिस्त्री के छेनी- हथौड़ा का अहम योगदान रहा। 

Hammer Man Shivu Mistry ने मांझी को बनाया Mountain Man – Hammer Man Shivu Mistry made Manjhi a Mountain Man

पर्वत पुरूष दशरथ मांझी के संकल्प और उनके हौसले में हथौड़ा पुरूष शिवू मिस्त्री का निःशुल्क छेनी- हथौड़ा का योगदान ने जान फूंक दी थी। 

हैमर मैन शिवू का छेनी- हथौड़ा अद्वितीय, अतुलनीय व अविस्मरणीय है। जो अनोखा, अद्वितीय ऐतिहासिक धरोहर है। श्री मिस्त्री, गया जिले के वजीरगंज प्रखंड के शिव कॉलोनी, दखिनगांव का निवासी थे। 

जिसने पक्की दोस्ती का उदाहरण कायम किया। पर्वत पुरूष दशरथ तथा हथौड़ा पुरूष शिवू के ऐतिहासिक अटूट दोस्ती स्वर्णाक्षरो में अंकित है। हथौड़ा पुरूष शिवू के ऐतिहासिक छेनी- हथौड़ा को गया संग्रहालय, गया में दर्शनार्थ सुरक्षित- संरक्षित रखा गया है।    

  • जीवट पुरूष अनवरत कर्म करते हैं, सुनिश्चित लक्ष्य-पथ पर चलते हुए अपनी मंजिल को पाते हैं। ऐसे ही अथक साधक, लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध कर्मयोगी पुरूष थे – हथौड़ा पुरूष कर्मवीर शिवू मिस्त्री।
  • जीवन की दैनन्दिन जरूरतों से जूझते हुए, घटनाक्रमों से लड़ते हुए एक साधारण मिस्त्री अचानक एक प्रतिबद्ध समाजसेवी बन जाता है और फिर प्रतिष्ठित हैमर मैन।

लक्ष्य साधना में अर्जून की तरह माहिर शिवू मिस्त्री कर्मठता के अद्भूत नमूना थे। ऐसे साधक को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स ने भी प्रतिष्ठा देने में कोई कोताही नहीं की।

वर्ष 1960 की एक छोटी घटना ने अकिंचन मजदूर दशरथ को विराट स्वरूप लेने की प्रेरणा दी। घटनाक्रम कुछ ऐसा है कि दशरथ गेहलौर पहाड़ी को पार कर एक खेत में काम करता था और उसकी पत्नी फगुनी उसके लिए भोजन-पानी लेकर प्रतिदिन जाती थी। 

दशरथ मांझी को पत्नी से ही, उन्हें पहाड़ तोड़ने की प्रेरणा मिली क्योंकि उनकी पत्नी, दशरथ के लिए खाना और पानी लेकर पहाड़ी संकीर्ण दर्रा से गुज़र रही थी, उसी वक़्त वह पहाड़ी संकीर्ण दर्रा से फिसल कर गिर गई थी। दशरथ माँझी के खाने के भोजन- पानी वहीं गिर कर बिखर गया था। और उस दिन दशरथ भूखा- प्यासा रह गया। क्योंकि मजदूर दशरथ पहाड़ पार, खेत में काम कर रहा था। उसी दौरान की यह दास्तान है। इसी घटना के बाद दशरथ ने पहाड़ के सीना को चीर कर रास्ता बनाने को ठाना था। गरीबी की आलम ऐसी थी कि उसके पास फूटी कौड़ी तक नहीं थीं। अकिंचन मजदूर दशरथ ने शिवू मिस्त्री से मिलकर उनको अपनी दर्द भरी दास्ताँ सुनाई। 

तब शिवू लोहार ने उन्हें मुफ्त में छेनी- हथौड़ा देने का वादा किया। और तभी से उसने लगातार छेनी- हथौड़ा देता रहा। उसने तब तक देता रहा, जब तक की पहाड़ ना टूटा।

ऐसे ही दिनचर्या-क्रम में एक दिन पत्नी फगुनी संकीर्ण पहाड़ी दर्रे को चिलचिलाती धूप में पार कर आ रही थी। अचानक ठोकर लगी पांव फिसला, फगुनी लड़खड़ा कर गिर गई। तभी उसने पहाड़ को तोड़ कर रास्ता बनाने का ठाना। 

मजदूर दशरथ के विराट प्रेमी स्वरूप का उदय होता है। शाहजहां का मुमताज के प्रति अमर-प्रेम का प्रतीक ‘ताजमहल’ यदि विश्व स्तर पर दर्शनीय है तो दशरथ का फगुनी के प्रति प्रेम का अमर प्रतीक है- गेहलौर पहाड़ी के डेढ़ फीट के संकीर्ण पहाड़ी दर्रे में 30 फीट चौड़ा मार्ग का निर्माण, जो अकल्पनीय है।

जब पहाड़ टूट गया। लोगों की आवाजाही शुरू हो गई। जब उनकी कामयाबी शानदार ! जबर्दस्त ! ज़िंदाबाद हो गई। तब लोगों ने उन्हें शाबाशी दी। इससे पहले और किसी ने उन्हें सहयोग नहीं किया। उलटे लोग उन्हें पागल और सनकी की संज्ञा दे रखे थे।

मिस्त्री के हथौड़े के दम पर उसने असंभव कार्य को संभव कर दिखाया। 

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हैमरमैन शिवू मिस्त्री के दिए हुए छेनी- हथौड़े से
पहाड़ तोड़ते हुए माउंटेनमैन दशरथ मांझी
 

दशरथ का फगुनी के प्रति प्रेम का अमर प्रतीक है- गेहलौर घाटी। वह मार्ग विशुद्ध सात्विक प्रेम की साधना का प्रतिफल है। पत्नी फगुनी की चोटिल पहाड़ी के कठोर सीने पर मात्र छेनी-हथौड़ी के सहारे 22 वर्षों तक निरंतर प्रहार करते हुए दशरथ मांझी ने अद्भुत गाथा रच डाली, प्रेम का जीवंत प्रतिमान यह पथ आमजन के लिए राहत और सुकून का पैगाम लेकर आया।

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शिवू मिस्त्री के दिए हुए हथौड़े से गेहलौर पर्वत को
तोड़ कर दशरथ मांझी ने बनाया रास्ता

बुलंद इरादे, प्रबल इच्छाशक्ति, अदम्य साहस, तथा प्रेम एवं लगनशीलता की पराकाष्ठा का अद्भूत परिचय दिया शिवू मिस्त्री ने अपनी हथौड़े की रचनात्मकता से।

आज यह गेहलौर मार्ग वजीरगंज, मोहड़ा एवं अतरी प्रखंड अर्थात तीन प्रखंडों को जोड़ने से आमजन हेतु सुगम मार्ग बन गया है। दुर्गम पहाड़ी दर्रे से जाने वाला घुमावदार संकरा पथ अब चौड़ा सुगम सीधा मार्ग बन गया है, जिसने मीलों दूरी को कम कर दिया है। 

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World Records Hammer Man
Shivu

ऐसे कर्म प्रवण शिवू को हथौड़ा पुरूष तथा हैमर मैन की संज्ञा से विभूषित किया गया। लेकिन इस सबसे बेपरवाह संत स्वभावी शिवू मिस्त्री अपनी साधना में लगे रहे। दृढ़ संकल्प शक्ति का उदाहरण है अनवरत 22 वर्ष तक छेनी- हथौड़ा प्रदान करना।

धुन के पक्के थे शिवू मिस्त्री। कभी हिम्मत नहीं हारते थे। इतिहास पुरूष शिवू के साहस, एवं कर्म प्रबलता की गाथा वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स में शामिल है।

दशरथ कहा करते थे कि वजीरगंज हाट में बकरी बेच कर विश्वकर्मा की दुकान से छेनी-हथौड़ा खरीदी थी। उन्होंने विश्वकर्मा का ध्यान लगा छेनी- हथौड़ा से गेहलौर पहाड़ को तोड़ने में जुट गया था।

शिवू विश्वकर्मा के हथौड़े की ताकत से विशाल पहाड़ राई के समान टूटा और दशरथ मांझी अमर हुए। जो एकदम अनूठा गाथा है। श्री मिस्त्री देश- विदेेश में चर्चित व प्रसिद्ध हुए। इसी अद्वितीय कार्य हेतु शिवू का नाम वर्ष 2019 में बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज हुआ। 

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गया के DM कुमार रवि से बातचीत करते हुए
HAMMER MAN शिवू 

हथौड़े की मार से कठोर चट्टान टूटता गया और कामयाबी करीब होता गया। अंततः बड़ी सफलता मिली। लक्ष्य एक हीं था पहाड़ तोड़ने के लिए छेनी- हथौड़ा देना। शिवू ने ये सिद्ध कर दिखाया कि अटूट दोस्ती से बढ़कर संसार में कुछ भी नहीं। सच, महामना शिवू की यह कृति महान, एकलौता एवं अतुलनीय है। 

आज पहाड़ी प्रेम स्मारक गेहलौर घाटी चिरस्मरणीय बना है। वह ऐतिहासिक प्रेम मार्ग है। मिस्त्री शिवू बहुत थोड़ा पढ़े- लिखे थे परंतु कर्म का धनी पुरूष थे। वह गुद्ड़ी का लाल था। वह सच्चे कर्मयोगी थे। आज शिवू मिस्त्री हमारे बीच नहीं हैं। लेकिन उनकी अद्भुत कृति जीवंत है। शिवू- दशरथ निर्मित प्रेम पथ गेहलौर घाटी असंभव कार्य को भी संभव करने की प्रेरणा देती है। जो कठोर कर्म का द्योतक है।

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 World Records Journalist
Writer
Ashok Kumar Anj 


अक्षरजीवी,

अशोक कुमार अंज

(फिल्मी पत्रकारबाबू)

(जाने- माने फिल्मी सितारा, लेखक- साहित्यकार व  वर्ल्ड रिकॉर्ड पत्रकार तथा आकाशवाणी- दूरदर्शन से संबद्ध)

संपर्क: वजीरगंज, गया- 805131, बिहार

– AnjNewsMedia Presentation | अंज न्यूज़ मीडिया प्रस्तुति

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