Vishwakarma Puja | विश्वकर्मा ब्रह्मांड निर्माता | Vishwakarma | Vishwakarma Jayanti | Vishwakarma Puja 2023 | Vishwakarma Puja Kab Hai ! जानें

गया, 1 सितम्बर 2023 (अंज न्यूज़ मीडिया) Vishwakarma Puja ! विश्वकर्मा पूजा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। Vishwakarma Puja भगवान विश्वकर्मा की जयंती के रूप में मनाया जाता है। जो वास्तुकला, इंजीनियरिंग और निर्माण के देवता हैं। Vishwakarma (विश्वकर्मा) को ब्रह्मांड के निर्माता के रूप में भी जाना जाता है।

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Vishwakarma Puja | विश्वकर्मा ब्रह्मांड के निर्माता हैं | Vishwakarma विश्व शिल्पी हैं | Vishwakarma Jayanti धूमधाम से मनाई जाती है | Vishwakarma Puja 2023 | Vishwakarma Puja Kab Hai ! जानें महत्त्व 

Vishwakarma Puja | विश्वकर्मा ब्रह्मांड निर्माता | Vishwakarma | Vishwakarma Jayanti | Vishwakarma  Puja 2023 | Vishwakarma Puja Kab Hai ! जानें - Exclusive Report - Anj News Media
Vishwakarma Puja | विश्वकर्मा ब्रह्मांड निर्माता | Vishwakarma | Vishwakarma Jayanti | Vishwakarma Puja 2023 | Vishwakarma Puja Kab Hai ! जानें – Exclusive Report – Anj News Media

विश्वकर्मा पूजा का आयोजन आमतौर पर भाद्रपद महीने की अंतिम तिथि को किया जाता है, जो सितंबर के महीने में पड़ता है। इस दिन, लोग अपने घरों, कारखानों, औद्योगिक संस्थानों और अन्य संपत्तियों की सफाई और मरम्मत करते हैं।

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वे भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं और उनसे अपने जीवन और व्यवसाय में सफलता की कामना करते हैं।

Vishwakarma Puja 2023 | विश्वकर्मा पूजा 2023

विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja) के कई धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विश्वकर्मा सभी शिल्पकारों और इंजीनियरों को आशीर्वाद देते हैं। यह दिन नई परियोजनाओं की शुरुआत करने और नए उपकरणों को खरीदने के लिए भी शुभ माना जाता है।

Happy Vishwakarma Puja !! Vishwakarma Puja ! (विश्वकर्मा पूजा) का सामाजिक महत्व भी है। यह दिन शिल्पकारों और इंजीनियरों के समुदाय को एक साथ लाने का अवसर प्रदान करता है। यह दिन लोगों को अपनी संपत्ति की सराहना करने और उनके जीवन में निर्माण के महत्व को याद दिलाता है।

विश्वकर्मा पूजा के कुछ प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:

यह दिन शिल्पकारों और इंजीनियरों को उनके काम के लिए सम्मान और आभार व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है।
यह दिन लोगों को अपनी संपत्ति की सराहना करने और उनके जीवन में निर्माण के महत्व को याद दिलाता है।

यह दिन नई परियोजनाओं की शुरुआत करने और नए उपकरणों को खरीदने के लिए शुभ माना जाता है।
यह दिन भगवान विश्वकर्मा से आशीर्वाद प्राप्त करने का एक तरीका है।

विश्वकर्मा पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो शिल्पकारों और इंजीनियरों के लिए विशेष महत्व रखता है। यह दिन सभी के लिए निर्माण के महत्व को याद दिलाता है।

Pls ! Watch The Documentary | देखिए ! डाक्यूमेंट्री  

Vishwakarma Puja Kab Hai ! जानें | Vishwakarma Puja 2023 | Vishwakarma Puja 2023 Date

2023 में विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर, शनिवार को होगी। यह दिन कन्या संक्रांति का भी दिन है। विश्वकर्मा पूजा भगवान विश्वकर्मा की जयंती का उत्सव है, जो हिंदू धर्म में निर्माण के देवता हैं। इस दिन, लोग अपने औजारों, मशीनों, और अन्य निर्माण उपकरणों की पूजा करते हैं।

देखिए ! बदलते दौर के विश्वकर्मा शिवू मिस्त्री की अद्भुत ऐतिहासिक कृति !  Mistry The Hammer Man

विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त 17 सितंबर को सुबह 7:36 से रात 9:30 तक है। इस समय के दौरान, लोग भगवान विश्वकर्मा की पूजा करके उनके आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

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Vishwakarma Puja और सृष्टिकर्ता भगवान Vishwakarma  
इस मौके पर पढ़िए ! विश्वकर्मा वंशज के बदलते दौर के ताजातरीन इतिहास। हैमरमैन (हथौड़ा पुरुष) शिवू मिस्त्री (लोहार वंशज) ने अपने छेनी- हथौड़े के दम पर एक अकिंचन अत्यंत गरीब मजदूर दशरथ मांझी को पर्वत पुरुष (माउंटेनमैन) बना दिया। विश्वकर्मा शिवू मिस्त्री की ऐसी अनोखी इतिहास ! बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ। जो विश्व के लिए प्रेरणादायी है।

विश्वकर्मा जयंती, जिसे विश्वकर्मा पूजा के रूप में भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह भगवान विश्वकर्मा की जयंती मनाता है, जो विश्व के निर्माणकर्ता और वास्तुकला के देवता हैं। विश्वकर्मा को शिल्पकारों, कारीगरों और इंजीनियरों के संरक्षक के रूप में भी माना जाता है।

विश्वकर्मा जयंती भारत, नेपाल और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में मनाई जाती है। यह आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर के महीने में पड़ता है। भारत में, यह त्योहार मुख्य रूप से पूर्वी राज्यों में मनाया जाता है, जैसे कि असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और त्रिपुरा।

विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर, लोग मंदिरों और औद्योगिक क्षेत्रों में भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं। वे प्रार्थना करते हैं कि उन्हें भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद मिले और उनकी रचनात्मकता और कौशल में सुधार हो।

इस त्योहार को मनाने के कई तरीके हैं। कुछ लोग अपने घरों और कार्यस्थलों को सजाते हैं, जबकि अन्य विशेष भोजन पकाते हैं या त्योहार मनाने के लिए समारोह आयोजित करते हैं।

Vishwakarma Puja ! विश्वकर्मा जयंती एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति में एक मजबूत जड़ है। यह त्योहार शिल्पकारों, कारीगरों और इंजीनियरों के लिए एक विशेष अवसर है, जो भगवान विश्वकर्मा के आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते हैं।

Happy Vishwakarma Puja !! Vishwakarma Puja ! विश्वकर्मा जयंती 2023 इस साल 17 सितंबर, रविवार को मनाई जाएगी।

देखिए ! विश्वकर्मा शंकराचार्य का स्पेशल इंटरव्यू  

Vishwakarma Puja ! जगतगुरु भगवान Vishwakarma 

जगतगुरु भगवान विश्वकर्मा हिंदू धर्म में निर्माण, शिल्प और वास्तुकला के देवता हैं। उनका नाम “विश्व” (सभी) और “कर्मा” (कार्य) से बना है, जिसका अर्थ है “सभी कार्य करने वाला”। उन्हें भगवान ब्रह्मा का पुत्र माना जाता है, और उन्हें दुनिया के रचनाकार के रूप में भी सम्मानित किया जाता है।

Vishwakarma Puja ! विश्वकर्मा को सभी प्रकार के निर्माण के लिए जिम्मेदार माना जाता है, जिसमें देवताओं के महल, पृथ्वी के पहाड़, नदियाँ और समुद्र शामिल हैं। उन्होंने इंद्र के लिए वज्र, अग्नि के लिए त्रिशूल, और सूर्य के लिए रथ भी बनाया था।

उन्हें सभी शिल्पों के संरक्षक देवता भी माना जाता है, और उन्हें अक्सर कारीगरों और बुनकरों द्वारा पूजा जाता है।

Vishwakarma Puja ! विश्वकर्मा को अक्सर एक शक्तिशाली और कुशल देवता के रूप में चित्रित किया जाता है। उनके पास पांच चेहरे, चार हाथ और चार पैर हैं, और वह एक त्रिशूल और एक हथौड़ा धारण करता है। उन्हें अक्सर एक वज्र या रथ के साथ भी चित्रित किया जाता है।

Vishwakarma Puja ! विश्वकर्मा का जन्म भाद्रपद शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। इस दिन, कारीगर और बुनकर अपने कामकाज के उपकरणों की पूजा करते हैं, और अपने कार्यस्थल को साफ-सुथरा करते हैं।

Vishwakarma Puja ! विश्वकर्मा को हिंदू संस्कृति में एक महत्वपूर्ण देवता माना जाता है। वह निर्माण, शिल्प और वास्तुकला के सभी क्षेत्रों के लोगों के लिए एक आदर्श है।

भगवान विश्वकर्मा का आध्यात्मिक महत्व | कृपया ! यहां, इस चर्चा में देखिए

Vishwakarma Puja Kab Hai ! जानिए महत्व  
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विष्णु पुराण के अनुसार, ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं में से एक हैं, जो सृष्टि के निर्माता हैं। इन्हें विश्वकर्मा के नाम से भी जाना जाता है। विश्वकर्मा को सभी देवताओं का शिल्पकार कहा जाता है।

उन्होंने ही इस ब्रह्मांड की रचना की है। उन्होंने ही आकाश, पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, अंतरिक्ष, आदि सभी चीजों को बनाया है। उन्होंने ही देवताओं के सभी मंदिर, हथियार, वाहन, आदि भी बनाए हैं।

Vishwakarma Puja ! विश्वकर्मा एक बहुत ही शक्तिशाली और कुशल शिल्पकार थे। उन्होंने अपनी शक्तियों से बहुत सारे चमत्कार किए हैं। उन्होंने ही समुद्र मंथन में भी सहायता की थी। उन्होंने ही देवताओं के लिए अमरत्व का अमृत निकाला था।

विश्वकर्मा को सभी देवताओं और ऋषियों से बहुत सम्मान दिया जाता है। वे सभी उनकी शक्ति और कौशल की प्रशंसा करते हैं। विश्वकर्मा को सभी मनुष्यों का भी आदर्श माना जाता है। वे हमें सिखाते हैं कि हमें अपने कार्यों में कुशल और मेहनती होना चाहिए।

Vishwakarma Puja ! विश्वकर्मा की महिमा का वर्णन करते हुए, एक पुराण में कहा गया है:

विश्वकर्मा देवस्य च शिल्पस्य च पिता।
सर्वस्य जगतो रचना तस्य करणम्।

अर्थात, विश्वकर्मा देवताओं और शिल्पों के पिता हैं। उन्होंने ही इस पूरी दुनिया की रचना की है।

विश्वकर्मा के कुछ चमत्कारों का वर्णन इस प्रकार है:

उन्होंने ही इंद्र के लिए स्वर्ग का महल बनाया था।
उन्होंने ही अग्नि देवता के लिए वैष्णवी अस्त्र बनाया था।

उन्होंने ही भगवान राम के लिए धनुष और बाण बनाए थे।
उन्होंने ही भगवान कृष्ण के लिए सुदर्शन चक्र बनाया था।

विश्वकर्मा के सम्मान में हर वर्ष 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है। इस दिन लोग उनके मंदिरों में जाकर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं।

भगवान विश्वकर्मा के पांच पुत्र थे: मनु, मय, त्वष्टा, शिल्पी और दैवज्ञ। 

मनु विश्वकर्मा के सबसे बड़े पुत्र थे। उन्होंने मानव सृष्टि का निर्माण किया।
मय विश्वकर्मा के दूसरे पुत्र थे। वे एक कुशल काष्ठ शिल्पी थे। उन्होंने इंद्र के लिए स्वर्गलोक बनाया।

त्वष्टा विश्वकर्मा के तीसरे पुत्र थे। वे एक धातुकर्मी थे। उन्होंने देवताओं के लिए कई शक्तिशाली हथियार बनाए।
शिल्पी विश्वकर्मा के चौथे पुत्र थे। वे एक मूर्तिकार थे। उन्होंने देवताओं की मूर्तियां बनाईं।

दैवज्ञ विश्वकर्मा के पांचवें पुत्र थे। वे एक वैज्ञानिक थे। उन्होंने देवताओं के लिए कई अस्त्र-शस्त्र और यंत्र बनाए।
सिंहिका विश्वकर्मा की एक पुत्री थी। वह एक पराक्रमी योद्धा थी। उसने दानवों से कई बार युद्ध किया और उन्हें हराया।

विश्वकर्मा के सभी पुत्र-पुत्रियों ने अपने पिता के समान ही महान कार्य किए और दुनिया को अपनी कला और कौशल से लाभान्वित किया।

Vishwakarma Puja ! वेदों में विश्वकर्मा का ख़ास महत्व जानें 
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वेदों में विश्वकर्मा का महत्व बहुत अधिक है। उन्हें सृष्टि का निर्माता और वास्तुकला का देवता माना जाता है। वेदों में विश्वकर्मा को “प्रजापति” भी कहा गया है, जिसका अर्थ है “सृष्टि का पिता”।

ऋग्वेद में विश्वकर्मा की स्तुति करते हुए कहा गया है कि वे ही इस संपूर्ण ब्रह्मांड के निर्माता हैं। उन्होंने ही पृथ्वी, आकाश, सूर्य, चंद्रमा, तारे, ग्रह, नदियाँ, पर्वत, और सभी प्राणी-जंतुओं का निर्माण किया है।

विश्वकर्मा को वास्तुकला का देवता भी माना जाता है। उन्होंने ही देवताओं के लिए स्वर्गलोक का निर्माण किया था। उन्होंने ही इंसानों के लिए घर, मंदिर, महल, और अन्य भवन भी बनाए हैं।

विश्वकर्मा को शिल्पकारों और कारीगरों के भी देवता माना जाता है। वे उनकी रक्षा करते हैं और उन्हें सफलता प्रदान करते हैं।

Vishwakarma Puja ! वेदों में विश्वकर्मा के कुछ प्रमुख कार्यों का उल्लेख इस प्रकार है:

उन्होंने ही इस संपूर्ण ब्रह्मांड का निर्माण किया है।
उन्होंने ही देवताओं के लिए स्वर्गलोक का निर्माण किया है।
उन्होंने ही इंसानों के लिए घर, मंदिर, महल, और अन्य भवन बनाए हैं।
उन्होंने ही सभी प्रकार के रथ, हथियार, और अन्य उपकरणों का निर्माण किया है।
वे शिल्पकारों और कारीगरों के भी देवता हैं।
विश्वकर्मा एक महान देवता हैं, जिनका हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व है। वे सृष्टि के निर्माता हैं, और उन्होंने इंसानों के लिए भी बहुत कुछ किया है।

Vishwakarma Puja ! श्लोक में भगवान विश्वकर्मा की महिमा का वर्णित 

नमस्ते विश्वकर्मा, नमस्ते विश्वकर्मा,
सकल सृष्टि के कर्ता, रक्षक श्रुति धर्मा।
आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।
शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया।
ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नही पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई।
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।
संकट मोचन बनकर, दूर दुख कीना।
जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी।
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे।
ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।
मन दुविधा मिट जावे, अटल शांति पावे।

इस श्लोक में भगवान विश्वकर्मा की महिमा का वर्णन किया गया है। वह सृष्टि के कर्ता और रक्षक हैं। उन्होंने देवताओं के लिए अनेकों अस्त्र और औजार बनाए। उन्होंने इंद्र के लिए वज्र, ब्रह्मा के लिए वीणा, विष्णु के लिए चक्र और शिव के लिए त्रिशूल बनाए।

उन्होंने ही मनुष्यों के लिए भी अनेकों उपयोगी वस्तुएं बनाईं, जैसे घर, मशीनें, सड़कें, इमारतें आदि।

भगवान विश्वकर्मा की पूजा 16 सितंबर को होती है। इस दिन सभी शिल्पकार और इंजीनियर उनकी पूजा करते हैं।

वेद में विश्वकर्मा के लिए कई मंत्रों का उल्लेख है। इन मंत्रों में विश्वकर्मा को सृष्टि के निर्माता, विधाता और शिल्पियों के देवता के रूप में वर्णित किया गया है।

ऋग्वेद के दशम मण्डल के अष्टावी सूक्त में विश्वकर्मा का एक प्रसिद्ध मंत्र है। इस मंत्र में विश्वकर्मा को सृष्टि के पिता, विधाता और देवताओं के नामदाता के रूप में वर्णित किया गया है।

यो नः पिता जनिता यो विधाता
धामानि वेद भुवनानि विश्वा।
यो देवानां नामधा एक एव
तं सम्प्रश्नं भुवना यन्त्यन्या॥

Vishwakarma Puja ! इस मंत्र का अर्थ है:

जो हमारा पिता है, जो हमें जन्म देता है, जो विधाता है, जो सभी लोकों को जानता है, जो देवताओं के नामदाता है, वही एक है, जिसकी हम सभी प्रशंसा करते हैं।

इसके अलावा, ऋग्वेद के दशम मण्डल के नवम सूक्त में भी विश्वकर्मा का एक मंत्र है। इस मंत्र में विश्वकर्मा को शिल्पियों के देवता और मनुष्यों के मित्र के रूप में वर्णित किया गया है।

यः सृष्टिं विधाय पुरस्तादग्नेः
स विश्वकर्मा नः सुकृतस्य देवता।
स भवतु नः मित्रं स मेधां दधातु
यः सृष्टिं विधाय पुरस्तादग्नेः॥

Vishwakarma Puja ! इस मंत्र का अर्थ है:

हे अग्नि! जो सृष्टि को पहले से ही रचकर रखता है, वही विश्वकर्मा हमारे लिए सुकृत का देवता है। वह हमारा मित्र हो और मुझे बुद्धि प्रदान करे, जो सृष्टि को पहले से ही रचकर रखता है।

अन्य वेदों में भी विश्वकर्मा के लिए कई मंत्रों का उल्लेख है। इनमें अथर्ववेद, यजुर्वेद और सामवेद शामिल हैं।

विश्वकर्मा के इन मंत्रों से यह स्पष्ट होता है कि वेदों में उन्हें एक महत्वपूर्ण देवता के रूप में माना जाता है।

Vishwakarma Puja ! सृष्टिकर्ता जगत्पिता का महामंत्र इस प्रकार है 

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सृष्टिकर्ता जगत्पिता का महामंत्र “ओम” है। इसे “ओम्” भी कहा जाता है। यह एक संस्कृत मंत्र है जिसका उपयोग हिंदू धर्मों में ध्यान और यज्ञ में किया जाता है। यह एक त्रिवर्ग मंत्र है जिसका अर्थ “ए” और “यू” के साथ “एम” का एक अक्षर है। यः ब्रह्माण्ड के तीन महात्म्यों का प्रतिनिधीत्व कर्ता है: सृष्टि (ए), स्थिति (यू), और स्थिति (एम)।

ओम को एक मंत्र के रूप में भी देखा जाता है जो जगत पिता से संबंधित है। हां उनको शक्ति और शक्ति का प्रतिनिधित्व कर्ता है। हाँ उनके सृष्टि का मंत्र भी है, और हाँ उनकी स्थिति और स्थिति का मंत्र भी है।

ओम को एक ध्यान मंत्र के रूप में भी देखा जाता है। यह ध्यान करने का एक सार्थक तरीका है, क्योंकि यह मानव को उसकी भावनाओं और विचारों के समुद्र से बहार ले जाता है। हां उनको एक ऐसी स्थिति में ले जाता है जहां वे ब्रह्माण्ड के साथ एक हो सकते हैं।

ॐ को एक यज्ञ मंत्र के रूप में भी देखा जाता है। हाँ यज्ञ और पूजा में प्रयोग किया जाता है। ये ब्रह्माण्ड को प्रदर्शित कर्ता है, और ये या ये प्रयास करता है कि ध्यान करने वाले एक स्थान पर पाहुंचें जहां वे ब्रह्माण्ड के साथ एक हो जाएं।

ॐ एक महत्पूर्ण मंत्र है जो हिंदू धर्मों में अधिक शक्ति और शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। हाँ ध्यान, यज्ञ और पूजा में उपयोग किया जाता है, और यह एक ध्यान मंत्र के रूप में भी उपयोग किया जाता है

Vishwakarma Puja ! वेद वर्णित बाबा विश्वकर्मा का महामंत्र इस प्रकार है:

ॐ विश्वकर्मणे नमः
इस मंत्र का अर्थ है “मैं विश्वकर्मा को नमन करता हूँ।”

Vishwakarma Puja ! विश्वकर्मा को निर्माण एवं सृजन का देवता माना जाता है। वे सभी शिल्पकारों के आराध्य देव हैं। उनके इस महामंत्र का जाप करने से निर्माण कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। साथ ही, यह मंत्र शांति, समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करता है।

इस मंत्र का जाप करने का तरीका इस प्रकार है:

  • किसी शांत स्थान पर बैठ जाएं।
    अपने हाथों को जोड़कर प्रणाम करें।
    भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करें।
    108 बार या अधिक बार इस मंत्र का जाप करें।
    मंत्र जाप करते समय अपनी आँखें बंद कर लें और अपने मन को एकाग्र कर लें। मंत्र का जाप आस्था और विश्वास के साथ करें।

इस मंत्र का जाप करने से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

  • निर्माण कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
    शांति, समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त होता है।
    शिल्प कौशल में सुधार होता है।
    जीवन में सफलता प्राप्त होती है।

ऋग्वेद के एक श्लोक में, विश्वकर्मा को ब्रह्मा की आत्मा कहा गया है। यह श्लोक इस प्रकार है:

विश्वकर्मा ब्रह्मणो आत्मा
सर्वस्य जगत: प्रभव:।
सर्वस्य कर्ता स चैव
सर्वस्य विनाशकारक:।

Vishwakarma Puja ! इसका अर्थ है:

“विश्वकर्मा ब्रह्मा की आत्मा है, जो समस्त जगत का प्रभव है। वह समस्त जगत का कर्ता और विनाशकारक है।”

इस श्लोक से पता चलता है कि विश्वकर्मा को ब्रह्मा का एक रूप माना जाता है। वह ब्रह्मांड के निर्माणकर्ता और संहारकर्ता हैं।

विश्वकर्मा के बारे में एक अन्य प्रसिद्ध श्लोक इस प्रकार है:

विश्वकर्मा सृष्टिकर्ता
वस्तुनां रचयिता।
वस्तुनां विनाशकर्ता
विश्वकर्मा महान:।

Vishwakarma Puja ! इसका अर्थ है:

“विश्वकर्मा सृष्टिकर्ता हैं, जो वस्तुओं को बनाते हैं। वह वस्तुओं के विनाशकर्ता भी हैं, जो बहुत महान हैं।”

यह श्लोक भी विश्वकर्मा की सृजनात्मक शक्ति और विनाशकारी शक्ति को दर्शाता है।

विश्वकर्मा को देवताओं का शिल्पकार भी माना जाता है। उन्होंने देवताओं के लिए कई सुंदर और शक्तिशाली हथियार, वाहन और आभूषण बनाए। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, विश्वकर्मा ने ही भगवान इंद्र के लिए वज्र बनाया था।

विश्वकर्मा की पूजा भारत के कई हिस्सों में की जाती है। उनकी पूजा विशेष रूप से कारीगर और शिल्पकार करते हैं।

सृष्टिकर्ता जगत्पिता भगवान विश्वकर्मा की पूजा ! Vishwakarma Puja 2023 

विश्वकर्मा पूजा भगवान विश्वकर्मा की पूजा है, जो शिल्प और हस्तशिल्प के देवता हैं। वे सभी वस्तुओं के रचनाकार हैं, जिनमें घर, मंदिर, मशीनें, उपकरण और हथियार शामिल हैं। विश्वकर्मा पूजा हिंदुओं, जैनियों और सिखों द्वारा की जाती है।

विश्वकर्मा पूजा की विधि निम्नलिखित है:

  • स्नान और वस्त्र धारण: पूजा से पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें
  • स्थान की शुद्धि: पूजा स्थल को गंगाजल या अन्य पवित्र जल से धोएं और पवित्र करें
  • पूजा सामग्री तैयार करना: पूजा के लिए आवश्यक सामग्री, जैसे कि भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति, फूल, अक्षत, धूप, दीप, फल, मिठाई, आदि तैयार करें
  • अभिषेक: भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति का अभिषेक करें
  • पूजा करना: भगवान विश्वकर्मा की पूजा करें और उन्हें फूल, अक्षत, धूप, दीप, फल, मिठाई, आदि अर्पित करें
  • आरती करना: भगवान विश्वकर्मा की आरती करें
  • प्रार्थना करना: भगवान विश्वकर्मा से प्रार्थना करें कि वह आपको सभी सुख-समृद्धि प्रदान करें।
  • भोजन दान करना: पूजा के बाद गरीबों को भोजन दान करें।
Vishwakarma Puja ! विश्वकर्मा पूजा के लिए कुछ विशेष मंत्र भी हैं, जिन्हें पूजा के दौरान पढ़ा जा सकता है:

ॐ विश्वकर्मणे नम:
ॐ कूमयि नम:
ॐ आधार शक्तपे नम:
ॐ अनंतम नम:
ॐ पृथिव्यै नम:

विश्वकर्मा पूजा का महत्व:

विश्वकर्मा पूजा का बहुत महत्व है। यह पूजा शिल्प और हस्तशिल्प के लोगों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस पूजा से भगवान विश्वकर्मा प्रसन्न होते हैं और लोगों को सभी सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं।

वेद के अनुसार, विश्वकर्मा सृष्टिकर्ता हैं। वे ब्रह्मांड के सभी प्राणियों और वस्तुओं के निर्माता हैं। वे एक महान इंजीनियर और कारीगर हैं, जिन्होंने ब्रह्मांड को बनाया और इसे संचालित करने के लिए कानूनों को निर्धारित किया।

देखिए ! विश्वकर्मा गान ! भजन लिरिक्स

वेदों में विश्वकर्मा के कई श्लोक हैं। इनमें से कुछ प्रमुख श्लोक निम्नलिखित हैं:

ऋग्वेद 10.81.1-10: इस श्लोक में, विश्वकर्मा को ब्रह्मांड के निर्माता के रूप में वर्णित किया गया है। वे सभी प्राणियों और वस्तुओं के निर्माता हैं, और उन्होंने ब्रह्मांड को अपने ज्ञान और कौशल से बनाया है।

अथर्ववेद 10.7.30-31: इस श्लोक में, विश्वकर्मा को एक महान इंजीनियर और कारीगर के रूप में वर्णित किया गया है। वे ब्रह्मांड की सभी रचनाओं के निर्माता हैं, और उन्होंने उन्हें अपने कौशल और ज्ञान से बनाया है।

यजुर्वेद 23.29-30: इस श्लोक में, विश्वकर्मा को ब्रह्मांड के नियमों के निर्माता के रूप में वर्णित किया गया है। उन्होंने ब्रह्मांड को संचालित करने के लिए कानूनों को निर्धारित किया है, और वे इन कानूनों को बनाए रखते हैं।

सामवेद 1.72.1: इस श्लोक में, विश्वकर्मा को एक देवता के रूप में वर्णित किया गया है। वे एक महान शक्ति हैं, और वे ब्रह्मांड को नियंत्रित करते हैं।

इन श्लोकों से यह स्पष्ट है कि विश्वकर्मा एक महत्वपूर्ण देवता हैं, जो ब्रह्मांड के निर्माण और संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे एक महान इंजीनियर, कारीगर और देवता हैं, जिनकी पूजा और सम्मान किया जाता है।

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Vishwakarma Puja ! विश्व शिल्पी भगवान विश्वकर्मा के गुण ऐसे हैं:

  • शक्ति: विश्वकर्मा जी एक अत्यन्त शक्तिमान् देवता हैं। उन्हें प्रकृति के सभी स्थानों को बनाया, जैसे कि पर्वत, नदी, वन, शहर, और आदि
  • ज्ञान: विश्वकर्मा जी एक अत्यन्त ज्ञानवान देवता हैं। उन्हें हर प्रकार की चीजें बनाने की क्षमाता है, जैसे कि छत्रपति, हवन कुंड, मंदिर, और इत्यादि
  • काल: विश्वकर्मा जी एक अत्यन्त कालवंशी देवता हैं। उन्हें हर प्रकार की शक्ति बनाने की क्षमता है, जैसे कि शिल्पी, शक्तिशाली, और इत्यादि
  • श्रद्धा: विश्वकर्मा जी एक अत्यन्त श्रद्धावान देवता हैं। उन्हें प्रकृति के सभी स्थानों को बनाया, जैसे कि पर्वत, नदी, वन, शहर, और आदि
  • विश्वकर्मा जी सभी देवताओं और मनुष्यों के आधार रूप हैं। उन्हें प्रकृति के सभी स्थानों को बनाया, जैसे कि पर्वत, नदी, वन, शहर, और आदि।
  • वे हर प्रकार की चीजें बनाते हैं, जैसे कि छत्रपति, हवन कुंड, मंदिर, और इत्यादि। वे एक अत्यन्त शक्तिमान, ज्ञानवान, कालवंशी, और श्रद्धावान देवता हैं।

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