मगही गीत
* खेता मे दरार *

सुरूज के कड़कड़ रौदा, खेता मे दरार
किसनमा उदास, झेलैत सुखाड़ के मार

खेता फटल देख, हहरै किसनमा-किसैनियां
मुरझाल मनमा, सोचैत उड़ाहय पैनियां
बदरे पर हे टकटकी, दे सामन जलधार

धनमा के आस जागल, लगैनूं मोरिया
बिन पानी पीला मोरी, उदास गोरिया
अकासे फटल बदरी, बरखा के नै असार

खाली गरजै बदरा, बरसै नै पनियां
टपटप पसेना चुए, बियाकुल रनियां
बरसै टिपक-टापक, जल उझल मुसलाधार

सुरूज के कड़कड़ रौदा…
किसनमा उदास…

गीतकार,
अशोक कुमार अंज
साहित्यकार व टीवी पत्रकार
मुख्यमंत्री से सम्मानित तथा आकाशवाणी- दूरदर्शन से अनुमोदित

वजीरगंज, गया (बिहार)
चलितभाष- ०९९३४७९९८३४

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